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राज्य में कोई ठोस कार्य नहीं दिखता, जिससे सार्थक परिवर्तन आया होः बाबूलाल

Ranchi: नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने कहा है कि हेमंत सोरेन को झारखंड की जनता ने दूसरी बार मुख्यमंत्री बनने का अवसर दिया, लेकिन उनके दूसरे कार्यकाल में अबतक 100 दिन से ज्यादा होने के बाद भी राज्य में ऐसा कोई ठोस कार्य नहीं दिखता, जिससे जनता के जीवन में सार्थक परिवर्तन आया हो. उन्होंने न तो कोई दूरदर्शी नीति प्रस्तुत की और न ही विकास के लिए कोई गंभीर प्रयास किया. उनके चुनाव में किए गए वादे आज केवल खोखले भाषणों की गूंज बनकर रह गए हैं. इसे भी पढ़ें -|Exclusive|">https://lagatar.in/drinking-water-department-not-22-86-crores-200-crores-scam-top-officers-in-the-hands-of-engineer-niranjan/">|Exclusive|

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अधिकांश महिलाओं को मंईयां सम्मान का लाभ ही नहीं मिल सका

चुनाव से पहले उन्होंने महिलाओं को आर्थिक और सामाजिक सशक्तिकरण का भरोसा दिलाते हुए मंईयां सम्मान योजना की घोषणा की थी. लेकिन जब इस योजना को लागू करने का समय आया, तो इसे जटिल नियमों और शर्तों के जाल में इस तरह उलझा दिया गया कि अधिकांश महिलाओं को इसका लाभ ही नहीं मिल सका. कागजातों की कमी का बहाना बनाकर उन्हें योजना से वंचित रखा गया. यह केवल प्रशासनिक विफलता नहीं, बल्कि महिला सम्मान और विश्वास के साथ एक धोखा है.

युवाओं को रोजगार देने का वादा भी एक चुनावी जुमला

इसी तरह युवाओं को रोजगार देने का वादा भी मात्र एक चुनावी जुमला साबित हुआ. नियोजन प्रक्रिया को सशक्त और पारदर्शी बनाने की दिशा में कोई भी ठोस कदम अब तक नहीं उठाया गया है. राज्य के लाखों युवा रोजगार की तलाश में दर-दर भटक रहे हैं और सरकार के पास उनके लिए कोई योजना नहीं है.

राज्य में अपराध का ग्राफ तेजी से बढ़ा है

राज्य में अपराध का ग्राफ तेजी से बढ़ा है. हत्या, रेप, जमीन कब्जा, रंगदारी और संगठित अपराध की घटनाएं अब सामान्य होती जा रही हैं. हर जिले से अपराध की खबरें आ रही हैं, लेकिन सरकार मूकदर्शक बनी हुई है. भू-माफियाओं और अपराधियों को खुला संरक्षण मिला हुआ है. शासन-प्रशासन पूरी तरह से असंवेदनशील और निष्क्रिय हो चुका है. ऐसा प्रतीत होता है जैसे राज्य का संसाधन लूटने की खुली छूट दे दी गई है.

हेमंत सोरेन नीयत और नीति दोनों के अभाव का प्रमाण बन चुके हैं

हेमंत सोरेन नीयत और नीति दोनों के अभाव का प्रमाण बन चुके हैं. उन्होंने केवल सत्ता में बने रहने के लिए जनता को गुमराह किया और जब सत्ता मिली, तो उनके सरोकारों से मुंह मोड़ लिया. झारखंड की जनता ने जिन्हें विश्वास के साथ सत्ता सौंपी थी, उन्होंने उस विश्वास को बार-बार तोड़ा.

झारखंड की जनता स्वयं को उपेक्षित महसूस कर रही

आज झारखंड की जनता स्वयं को उपेक्षित महसूस कर रही है. वह देख रही है कि कैसे सरकार की नाकामी ने राज्य को पिछड़े राज्यों की श्रेणी में ला खड़ा किया है. लेकिन लोकतंत्र में सबसे बड़ी ताकत जनता के पास होती है. आने वाले चुनावों में जनता इस विश्वासघात का जवाब देगी और यह तय करेगी कि झारखंड का भविष्य छल, भ्रष्टाचार और अपराध पर नहीं, बल्कि पारदर्शिता, विकास और न्याय के आधार पर तय होगा. इसे भी पढ़ें -सरायकेला">https://lagatar.in/ats-and-up-stf-raid-in-seraikela-looking-for-ak-47-of-anuj-kanaujia-who-was-killed-in-the-encounter/">सरायकेला

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