दबंगई : 2017 से चल रही थी प्लानिंग, पति को पहले भिजवाया जेल, फिर उजाड़ दिया आशियाना
Amit Kumar
Ranchi : आदिवासी महिला सिमरन देवी अपने तीन बच्चों के साथ पिछले चार दिनों से सड़क पर जीने को मजबूर है. न खाने का ठिकाना, न रहने का. जो ठिकाना था, उसे दलालों ने हड़प लिया. हम बात कर रहे हैं शहर के नेवरी विकास स्थित रिंग रोड के किनारे 1 एकड़ 35 डिसमिल भुईहरी जमीन की. जहां सिमरन देवी अपने पति रामरतन मुंडा के साथ रह रही थी. अपने पूर्वजों से प्राप्त इस जमीन पर आदिवासी परिवार शुरू से रहते आ रहा है. उसकी जमीन पर कुछ लोगों की बहुत पहले से नजर थी और अचानक 1 जुलाई को पूरी प्लानिंग के साथ, उसके घर को उजाड़ दिया गया.
दस्तावेज बताते हैं कि 1965 में मोहम्मद सलीम ने रामरतन मुंडा के आजा (परदादा) संतोख मुंडा तथा जयपाल मुंडा से यह जमीन खरीदी थी. जिसे 2017 में डॉ. रचना के नाम पर रजिस्ट्री की गई है. बावजूद इसके बिना किसी जानकारी के राम रतन मुंडा अपने परिवार के साथ इसी जमीन पर रहते रहे. कुछ वर्ष पहले रामरतन मुंडा को इसकी जानकारी दी गई. इसे लेकर वहां के जमीन दलाल शमशाद अंसारी तथा शाकिर अंसारी से उसका विवाद गहराता गया. मुंडा पिछले छह माह से जेल में हैं. उस पर मेसरा थाना में कांड संख्या 291/2023 के तहत आपराधिक मुकदमा दर्ज है.
मजिस्ट्रेट की मंजूरी बिना ही किया कब्जा
नियमानुसार आदिवासी या जनरल जमीन पर जिस किसी का भी कब्जा हो, उसे उस जगह से खाली कराने के लिए मजिस्ट्रेट की मंजूरी जरूरी है. फिर भी दलालों ने जमीन पर डोजरिंग करने के लिए गुलाबी गैंग महिलाओं का सहारा लिया. घर पर जबरन कब्जा करते देख मुंडा कि पत्नी ने एसडीओ कोर्ट में धारा 144 लगाने की गुहार लगाई.
बिना किसी परमिशन के सिमरन देवी का घर तोड़े जाने पर कांड संख्या 311/23 के तहत शमशाद अंसारी, बबलू मुंडा तथा शाकिर अंसारी पर मामला दर्ज किया गया है. उन पर धारा 379, 354, 341, 427, 428, 448/ 34 लगाई गई है.
बीआईटी ओपी प्रभारी , सुमित कुमार सिंह
पीड़िता और उसके परिजनों ने बताया साजिश
सिमरन देवी : मोहम्मद सलीम के वंशजों को कई बार इस संदर्भ में कोर्ट चलने को कहते रहे. लेकिन वे लोग कोर्ट नहीं गए और अंदर ही अंदर सारा दस्तावेज तैयार कर लिया. अब अचानक कब्जा जमाने आ गया.
ऊषा देवी
ऊषा देवी : दलालों ने गुलाबी गैंग की 300 से अधिक महिलाओं को बुला कर यह काम किया है. मेरा घर को तोड़ दिया. पिछले कई दिनों से मैं इस बारिश में अपने तीन बच्चों के साथ बिना छत के रहने को मजबूर हूं.
गुड़िया देवी
गुड़िया देवी: हम आदिवासी लोग अपने ही राज्य में बेघर हो रहे हैं. कहने को है कि यह आदिवासी राज्य है. न ही मुख्यमंत्री को हम आदिवासियों से कोई मतलब है और न ही किसी राजनीतिक पार्टी को. सबको सिर्फ वोट चाहिए हमसे.
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