- एक लाख चार हजार करोड़ का कोई हिसाब–किताब नहीं
- ग्रामीण विकास विभाग ने अब तक नहीं दिया 14361 करोड़ का ब्योरा
- कृषि विभाग ने 611 और ऊर्जा ने 9234 करोड़ का नहीं दिया है हिसाब
Ravi Bharti/Praveen Kumar
Ranchi : वित्तीय वर्ष 2023-24 समाप्त हो गया, लेकिन अब तक विभागों ने खर्च का उपयोगिता प्रमाण जमा नहीं किया है. यह उपयोगिता प्रमाण पत्र 2012 से लेकर अब तक जमा नहीं किया गया है. इस वजह से सरकार को एक लाख चार हजार करोड़ रुपये का हिसाब नहीं मिल पा रहा है. दरअसल सरकार विकास योजनाओं के लिए लगातार राशि जारी कर रही, लेकिन विभागों ने योजनाओं में कितना खर्च किया, इसका अब तक ब्योरा नहीं दिया है. वित्त विभाग के रिमाइंडर के बावजूद विभागों ने उपयोगिता प्रमाण पत्र नहीं सौंपा है.
क्या है राज्य सरकार का निर्देश
सरकार ने कहा कि वित्त विभाग द्वारा बार-बार रिमाइंडर देने के बावजूद लंबित उपयोगिता प्रमाण-पत्र जमा नहीं करना यह दर्शाता है कि आपके विभाग ने इस संबंध में गंभीर प्रयास नहीं किया. सरकार ने इसे तत्काल ऑनलाइन जमा करने का निर्देश दिया है.
क्या है उपयोगिता प्रमाण पत्र
उपयोगिता प्रमाण पत्र यानी खर्च का सही हिसाब-किताब. इसे दिये बिना आगे की राशि नहीं दी जाती है. रुपये प्राप्त करने वाले पदाधिकारी-विभाग के लिए यह नियम है कि वे ट्रेजरी कोड के तहत प्रपत्र भर कर उपयोगिता प्रमाण पत्र एक साल के अंदर जमा कर दें कि कितनी राशि खर्च हुई है और कितनी बची है. इसकी प्रति अकाउंटेंट जनरल झारखंड को भेजनी होती है. उपयोगिता प्रमाण पत्र वित्तीय प्रबंधन की पारदर्शिता स्थापित करती है.
सबसे अधिक राशि का उपयोगिता प्रमाण पत्र इन विभागों में है लंबित
विभाग राशि (करोड़ में)
ग्रामीण विकास विभाग 14361 करोड़
कृषि विभाग 611 करोड़
ऊर्जा विभाग 9234 करोड़
किस साल कितनी योजनाओं का उपयोगिता पत्र है लंबित
वित्तीय वर्ष योजना की संख्या राशि (करोड़ में)
2012-13 2685 1239.47
2013-14 936 11235.61
2014-15 1320 1564.44
2015-16 2134 5354.78
2016-17 8902 9573.72
2017-18 4868 14497.51
2018-19 3968 18591.51
2019-20 4441 17044.72
2020-21 4735 18710.47
2021-22 5075 15406.55
2022-23 1000 500