Noamundi (Sandip Kumar Prasad) : पद्मावती जैन सरस्वती शिशु मंदिर में गुरुवार को गोस्वामी तुलसीदास की जयंती मनाई गई. कार्यक्रम की शुरुआत में प्राचार्या सीमा पालित द्वारा संत तुलसीदास के चित्र पर माल्यार्पण कर किया गया. इस अवसर पर विद्यालय में प्रांतीय स्तर के निबंध, चित्रकला और सुलेख प्रतियोगिता का आयोजन हुआ. जिसमें विद्यालय के भैया बहनों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया. आगे, विद्यालय के भैया बहनों ने मनमोहक भजन के साथ-साथ भाषण प्रस्तुत कर अपनी भावनाएं प्रकट की.
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संत तुलसीदास ने अनेक ग्रंथों की रचना की : सीमा पालित
इस शुभ अवसर पर प्राचार्या अपने संबोधन के जरिये तुलसीदास जी के जीवनी पर प्रकाश डाला. वहीं, उनके दोहे के बारे में वर्णन करते हुए कहा कि धर्म दया भावना से उत्पन्न होता है और अभिमान जो सिर्फ पाप को ही जन्म देता है. जब तक मनुष्य के शरीर में प्राण रहते हैं तब तक मनुष्य को दया भावना कभी नहीं छोड़नी चाहिए. पुरुषोत्तम श्री राम के सबसे बड़े भक्तों में एक संत तुलसीदास ने अनेक ग्रंथों (यथा- रामचरितमानस, कवितावली, दोहावली, जानकी मंगल) की रचना की. कार्यक्रम के अंत में वंदना प्रमुख दीदी जी द्वारा शांति मंत्रोच्चारण के पश्चात् कार्यक्रम की समाप्ति हुई.