Ranchi : भारतीय प्रशासनिक सेवा यानी आईएएस जिसे हम सिविल सेवा के नाम से भी जानते हैं, देश में एक प्रतिष्ठित सेवा मानी जाती है. इस सेवा को पास करने के लिए कोई भी व्यक्ति जी तोड़ मेहनत करता है. सिविल सेवक बनने के बाद कई आईएएस अफसर ऐसे हैं, जिन्होंने अपने कामों से सुर्खियां बटोरी. वहीं कुछ ऐसे भी आईएएस अफसर हैं, जिन्होंने सुर्खियां तो बटोरी, पर अपनी सेवा की जगह अकूत संपत्ति अर्जित करने को लेकर. एक आईएएस अधिकारी द्वारा अकूत काली संपत्ति जमा करने की चर्चा हम इसलिए कर रहे हैं, क्योंकि इन दिनों देश में झारखंड कैडर की आईएएस अधिकारी पूजा सिंघल काफी चर्चा में हैं. पिछले दिनों इनके ठिकानों पर ईडी की रेड में 20 करोड़ के आसपास नकद संपत्ति सहित करोड़ों रुपये के निवेश का पता चला है. ईडी अभी पूजा सिंघल और उनके साथ जुड़े तमाम लोगों से पूछताछ कर रही है. देखा जाए, तो देश में कई ऐसे नौकरशाह हैं, जिन्होंने अकूत काली संपत्ति अर्जित करने पर ही ध्यान दिया. ऐसे अफसरों पर जांच एजेंसियों द्वारा कार्रवाई भी की गयी.
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10 टॉप भ्रष्ट IAS में 3 यूपी कैडर से, 7 उत्तर से दक्षिण राज्यों तक में दे चुके हैं सेवा
यहां पर भ्रष्टाचार में लिप्त रहे देश के 10 उन टॉप नौकरशाहों की चर्चा कर रहे हैं. जिन्होंने अकूत संपत्ति अर्जित करने में सारी सीमा को ही तोड़ दिया. इन 10 अफसरों में तीन उत्तर प्रदेश कैडर के हैं, वहीं अन्य 7 उत्तर से लेकर दक्षिण के राज्यों तक अपनी सेवा दे चुके हैं.
यूपी कैडर के तीन चर्चित IAS अधिकारी जिन्होंने अर्जित की अकूत काली संपत्ति
1 – उत्तर प्रदेश कैडर के आईएएस अखंड प्रताप सिंह भ्रष्ट अधिकारी के तौर पर काफी चर्चित रहे थे. चर्चा भी इतना कि 1996 में उत्तर प्रदेश आईएएस एसोसिएशन ने अपने एक सर्वेक्षण में उन्हें कथित रूप से देश का सबसे भ्रष्ट आईएएस अधिकारी बताया था. प्रदेश की कई सरकारों द्वारा उनकी काली संपत्ति की जांच की मांग की गयी. लेकिन सभी के संरक्षण के कारण अखंड प्रताप सिंह बचते रहें. इसमें कल्याण सिंह सरकार, राजनाथ सिंह सरकार, मायावती सरकार और मुलायम सिंह यादव सरकार शामिल हैं. इतना होने के बाद भी आखिरकार वे अवकाश के बाद सीबीआई के शिकंजे में आ गए. जांच में पता चला कि उन्होंने अपने 30 साल की सेवा में एक बड़ी राजसी कोठी सहित चार अन्य घऱ, चार प्लॉट, गुरुग्राम में चार फ्लैट, लखनऊ के पास एक फॉर्म हाउस, 82 लाख रूपये नकद और 13 गाड़ी की अकूत संपर्ति अर्जित की थी.
2 – उत्तर प्रदेश कैडर की दूसरी सबसे भ्रष्ट आईएएस अधिकारी की सूची में नीरा यादव का नाम आता है. नीरा को 1996 में यूपी आईएएस एसोसिएशन ने राज्य का दूसरे सबसे भ्रष्ट आईएएस अधिकारी घोषित किया था. उनपर यूपी और एनसीआर में हुए विभिन्न भूमि घोटालों की सूची में शामिल है. नीरा यादव को 2012 में सीबीआई अदालत ने दोषी ठहराया था. अगस्त 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने उसे दो साल की जेल की सजा को बरकरार रखा था.
3 – उत्तर प्रदेश कैडर के भ्रष्ट अधिकारियों की सूची में राकेश बहादुर का नाम आता है. कहा जाता है कि उनका यूपी में समाजवादी पार्टी से बहुत करीबी रिश्ता रहा है. वर्ष 2009 में बसपा द्वारा उन्हें निलंबित किया गया था. उनपर नोएडा भूमि आवंटन परियोजना में अनियमितता बरतने सहित अपने साथियों के साथ मिलकर 4000 करोड़ रुपये की अकूत संपत्ति अर्जित करने का दावा किया जाता है.
अन्य राज्यों के आईएएस अधिकारी भी काली अर्जित करने में आगे रहे हैं. इसमें शामिल हैं-
4 – आंध्र प्रदेश कैडर के ए मोहन की संपत्ति का पता तब चला था, जब एंटी करप्शन ब्यूरो ने साल 2016 में छापेमारी की थी. उस समय वे पूर्वी गोदावरी जिले के परिवहन आयुक्त के पद पर कार्यरत थे. उनके पास कई राज्यों में 800 करोड़ रूपये की चल-अचल संपत्ति थी. कार्रवाई में उसके पास से 14 फ्लैट के कागजात समेत 2 किलो सोना और पांच किलो चांदी बरामद हुई थी. रिपोर्ट के मुताबिक, मोहन ने बड़ी बेटी तेज श्री के नाम पर 8 बेनामी कंपनियां बनाईं, जिसकी कीमत 100-120 करोड़ रूपये आंकी गई थी.
5 और 6 – मध्यप्रदेश कैडर के दो आईएसएस अरविंद जोशी और उनकी पत्नी टीनू जोशी 2011 में सुर्खियों में आये थे. जब आयकर विभाग ने राजधानी भोपाल स्थित इनके घर पर छापा मारा. छापे में तीन करोड़ रूपये नकद और करोड़ों की संपत्ति के दस्तावेज बरामद हुए थे. कार्रवाई के अगले ही दिन दोनों को राज्य सरकार ने बर्खास्त कर दिया था. उनके पास से 350 करोड़ रूपये की बेनामी संपत्ति मिली थी.
7 – महाराष्ट्र कैडर के आईएएस नितेश जर्नादन ठाकुर के घऱ पर जब मार्च 2012 में जब मुंबई एसीबी ने छापा मारा था, तो 200 करोड़ से अधिक की संपत्ति थी. वह भी केवल 12 वर्षों की सेवा में. इसके अलावा उनके पास से 10 लग्जरी वाहन सहित सेवा में रहते हुए कई शेल कंपनियों की स्थापना करने और उससे 300 करोड़ जमा करने का आरोप लगा. ईडी ने जब उनके खिलाफ जांच की, तो वे विदेश भाग गये. बताया जाता है कि अभी वे दुबई में हैं. नितेश जर्नादन भारत के अब तक के सबसे भ्रष्ट आईएएस अधिकारियों में से एक हैं.
8 – एजीएमयूटी यानी अरुणाचल प्रदेश, गोवा, मिजोरम यूनियन टेरिटरी (एजीएमयूटी) कैडर के आईएएस अधिकारी एस. मलाइचामी खादी ग्राम उद्योग में पूर्व एमडी थे. दिसंबर 2012 में उन्हें 50 लाख रुपये से अधिक की आय से अधिक संपत्ति रखने के लिए पांच साल की जेल हुई और 10 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया था. दिल्ली के मुख्य चुनाव अधिकारी की सेवा दे चुके इस अधिकारी ने 1971 में आईएएस अधिकारी बनने के बाद अपने संपत्ति 46 लाख से बढ़कर 1.3 करोड़ रुपये कर ली थी.
9 – केरल कैडर के टी. ओ सरोज की चर्चा कई विवादों से होती है. जब मराड जिले के जिला कलेक्टर थे, तब उनका नाम हिंदू-मुस्लिम दंगों को भड़काने में सामने आया. उन पर कई जमीन हड़पने के मामले और संपत्ति इकट्ठा करने का आरोप है. विजिलेंस और एसीबी ने उनके आवास पर छापेमारी करते हुए 20 लाख रुपये और 30 करोड़ की संपत्ति बरामद की थी.
10 – छत्तीसगढ़ कैडर के बाबूलाल अग्रवाल को साल 2010 में प्रदेश की सरकार ने बर्खास्त कर दिया था. उस दौरान वो कृषि विभाग के सचिव के पद पर कार्यरत थे. आयकर विभाग की रेड में उनके पास से 500 करोड़ से अधिक की बेनामी संपत्ति के बारे में पता चला था. उनपर धनशोधन का भी आरोप है. ईडी ने बड़ी कार्रवाई करते हुए उनकी 27.86 करोड़ रुपए की संपत्ति को अटैच कर दिया था.
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