Ranchi : राज्य के अलग-अलग जेलों बंद अपराधी अभी भी बाहरी दुनिया के संपर्क में हैं और आपराधिक घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं. इसपर लगाम लगाने के लिए झारखंड के सभी जेलों में अब अंदर जाने वाले हर व्यक्ति और लगेज की स्कैनिंग की जाएगी. स्कैनिंग से जेल में तैनात सिपाही, कर्मचारी और अधिकारी को छूट नहीं मिलेगी. इसका निर्देश जेल आईजी मनोज सिंह ने सभी जेल के अधीक्षक को दिया है. प्रतिदिन कितनी स्कैनिंग हुई, इसकी रिपोर्ट प्रतिदिन जेल अधीक्षक आईजी को देंगे. गौरतलब है कि जेल के सिपाहियों की मदद से भी जेल में बंद अपराधियों तक मोबाइल और दूसरी अन्य वस्तुएं आसानी से पहुंच जाती हैं, जिससे जेल के अंदर से अपराध संचालित होती है. इस नियम को लागू करने के बाद जेल के अंदर अपराध पर कुछ लगाम लगेगा. इसे भी पढ़ें-
हेमंत">https://lagatar.in/hemant-government-should-fulfill-the-expectations-of-the-people-in-time-dipankar/">हेमंत
सरकार जनता की अपेक्षाओं को समय रहते पूरा करे : दीपंकर जेल में बंद रहकर भी कई कुख्यात अपराधी सक्रिय
झारखंड के बड़े और कुख्यात अपराधी जेल के अंदर रहते हुए भी सक्रिय हैं. जेल में बंद रहते हुए भी ये अपराधी रंगदारी वसूलने का काम कर रहे हैं. इतना ही नहीं वो हत्या की साजिश भी रच रहे हैं. राज्य के कई ऐसे बड़े अपराधी हैं, जो जेल के अंदर से ही मोबाइल फोन के सहारे अपना गिरोह चलाते हैं. साथ ही बाहर रह रहे अपने गुर्गों के सहयोग से आपराधिक घटनाओं को अंजाम दिलवाते हैं. हाल के महीने के कई ऐसी घटनाएं सामने आयी हैं, जिसके तार जेल के अंदर बंद अपराधियों से जुड़े हुए थे. इसे भी पढ़ें-
लालू">https://lagatar.in/lalu-has-been-made-hostage-in-delhi-tej-in-gestures-makes-big-allegations-against-tejashwi/">लालू
को दिल्ली में बनाया है बंधक, इशारों में तेज का तेजस्वी पर बड़ा आरोप आज भी जेल पूरी तरह से आधुनिक नहीं
राज्य की जेलें आज भी पूरी तरह से आधुनिक नहीं हो पायी हैं. यहां कई जेलों में आज भी 2जी जैमर लगे हुए हैं. ऐसे में 4 जी नेटवर्क के आगे पुराने हो चुके 2जी जैमर पूरी तरह से फेल हो चुके हैं. इसके कारण राज्य की जेल में बंद गैंगस्टर व बड़े अपराधी बिना किसी रोक-टोक के मोबाइल फोन के जरिए अपना नेटवर्क चला रहे हैं. ये अपराधी जेल से फिरौती मांगने, सुपारी देने, डराने-धमकाने जैसी बड़ी वारदातों को अंजाम दे चुके हैं. हर बार पुलिस का एक ही जबाव होता है कि वह मामले की पड़ताल कर रही है. कैदी या हवालाती का अदालत से पुलिस प्रोडेक्शन वारंट हासिल कर पूछताछ की जाएगी. कुल मिलाकर जेलों में चल रहे मोबाइल फोन के इस खेल में पुलिस से लेकर जेल प्रशासन व सुरक्षाकर्मियों की स्पष्ट रूप से मिलीभगत होने का संदेह होता है. [wpse_comments_template]
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