Ranchi : प्रवर्तन निदेशालय (ED) के अधिकारियों को मैनेज करने के कथित आरोपों की जांच के लिए दाखिल याचिका पर अब झारखंड हाईकोर्ट 27 मार्च को सुनवाई करेगा. हाईकोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस अनिल कुमार चौधरी की कोर्ट में गुरुवार को भी इस मामले की सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने ईडी के अधिकारियों के विरुद्ध पीडक कार्रवाई पर रोक के आदेश को अगली सुनवाई तक विस्तार दिया है.
सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड हाईकोर्ट के आदेश को रखा था बरकरार
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार की याचिका पर सुनवाई करते हुए झारखंड हाईकोर्ट के उस आदेश को बरकरार रखा था, जिसमें उसने रांची पुलिस को पंडरा ओपी, सुखदेव नगर थाना, जगन्नाथपुर थाना, अनगड़ा थाना, मोरहाबादी टीओपी, नामकुम थाना और देवघर थाना के 4 अक्टूबर 2024 से 17 अक्टूबर 2024 तक की सीसीटीवी को सुरक्षित रखने का निर्देश दिया था. इस मामले को लेकर पंडरा ओपी में दर्ज है दो प्राथमिकी, हाईकोर्ट ने पुलिस जांच पर लगा रखी है रोक
दरअसल रांची के पंडरा ओपी में पिछले वर्ष कांड संख्या 507/2024 और 508/2024 दर्ज की गयी थी. पहली प्राथमिकी में अधिवक्ता सुजीत कुमार ने रंगदारी की मांग कर अपहरण करने संबंधित धाराओं में प्राथमिकी दर्ज कराई थी. जिसमें उन्होंने संजीव कुमार पांडेय, रवि कुमार, प्रशांत, दीवाकर व अन्य पर आरोप लगाया था. सुजीत कुमार के मुताबिक, दो अक्टूबर को आरोपित उनके कार्यालय आये और हथियार का भय दिखाकर एक सादे कागजात पर लिखवाया कि उन्होंने छह करोड़ 40 लाख रुपये संजीव कुमार पांडेय से लिया है. वे उन्हें अपनी गाड़ी में बैठाकर ले गये और उनकी एक अन्य कार भी ले ली. संजीव कुमार पांडेय ने अपने खाते में 11 लाख 50 हजार रुपये ट्रांसफर कराया और 54 चेकबुक ले ली. दूसरी प्राथमिकी संजीव कुमार पांडेय नामक व्यक्ति ने धोखाधड़ी व भ्रष्टाचार से संबंधित धाराओं में दर्ज कराई थी. उन्होंने अधिवक्ता सुजीत कुमार पर आरोप लगाया कि जमीन घोटाला केस की जांच कर रही ईडी को मैनेज करने के नाम पर नामकुम के सीओ प्रभात भूषण सिंह, धनबाद के डीटीओ दीवाकर द्विवेदी और कांके के अंचलाधिकारी जयकुमार राम से अधिवक्ता सुजीत कुमार ने करीब छह करोड़ रुपये की ठगी की है. दोनों ही प्राथमिकियों में पुलिस की जांच पर फिलहाल हाईकोर्ट ने रोक लगा रखी है.
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