Tarun Kumar Choubey
Ranchi : सीबीएसई स्कूलों में नई शिक्षा नीति के अनुसार अब बच्चों की रिपोर्ट कार्ड पर अभिभावकों का फीडबैक लिया जाएगा. सीबीएसई के द्वारा जारी पत्र के अनुसार बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए शिक्षक और अभिभावक दोनों अपनी-अपनी जिम्मेदारी को मिलकर निभाएंगे. इस नीति के लागू होने के बाद अभिभावक बच्चों की ज़िम्मेदारी में पूरी तरह से हिस्सा ले सकेंगे. ताकि आगे बच्चे अपनी आने वाली कक्षाओं में बेहतर कर सकें. नई नीति के अनुसार, यह मॉडल अगले सत्र से लागू किया जाएगा. इस पहल के लिए सभी स्कूलों के शिक्षकों को प्रशिक्षित किया गया है.
इस मूल्यांकन के लिए दो प्रोटोटाइप विकसित किए गए थे. जिसमें आयु 3 से 6 वर्ष के बच्चों के समग्र विकास के लिए मानचित्र के माध्यम से पढ़ाया जाएगा. यह मानचित्र उम्र के अनुसार ध्यान देने के साथ, बच्चे की प्रगति को नियमित और रचनात्मक बनाने में सहायता प्रदान करेगा. रिपोर्ट कार्ड में बच्चे और उसके माता-पिता की जानकारी शामिल होगी. इस माध्यम से बच्चे का सभी पक्षों से मूल्यांकन हो सकेगा.
बोर्ड ने कक्षा 01 और 02 के बच्चों के शिक्षकों के लिए दिशा-निर्देश जारी करते हुए उनकी भूमिका के बारे में बताया है. शिक्षक पाठ्यक्रम का उपयोग कर उस पर व्यक्तिगत ध्यान कैसे दें, इसके बारे में बताया गया है. जिससे शिक्षक क्साल में बच्चों के व्यक्तित्व विकास के साथ-साथ पढ़ने, लिखने और बोलने के कौशल को पर भी ध्यान देंगे.
बोर्ड के संशोधन के बारे में स्कूलों को सूचित कर दिया गया है : प्रिंसिपल
फिरायालाल पब्लिक स्कूल के प्रिंसिपल नीरज कुमार सिन्हा ने कहा कहा कि बोर्ड के संशोधन के बारे में स्कूलों को सूचित कर दिया गया है. इसके लिए शिक्षकों को संबंधित प्रशिक्षण मिलना शुरू हो चुका है. यह बदलाव इसलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि बच्चे छह से सात घंटे ही स्कूल में बिताते हैं. शेष समय उनके माता-पिता के प्रभाव में होता है. बच्चों के विकास में माता-पिता को शामिल करना महत्वपूर्ण सकारात्मक परिवर्तनों को प्रेरित करने की क्षमता रखता है. सिन्हा ने आगे कहा कि फीडबैक प्रणाली की शुरुआत एक सर्वांगीण शिक्षा को बढ़ावा देने के नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुरूप है. यह न केवल अकादमिक उत्कृष्टता, बल्कि छात्रों के समग्र विकास पर भी ध्यान केंद्रित करता है.
अभिभावकों का क्या है कहना
जेएमएम श्यामली में चौथी कक्षा की छात्रा तान्या की माता सरीता दुबे ने कहा कि इस कदम से हर छात्र की अलग प्रतिभाओं और क्षमताओं के बारे में अभिभावक को पता चलेगा. इससे वह अपने बच्चों की हर कमी पर ध्यान देकर उसे ठीक कर सकेंगे.
डीएवी आलोक में चौथी कक्षा के छात्र आयुष वर्मा की मां सुनीता रानी ने कहा कि इस नई नीति के तहत, माता-पिता अपने बच्चों के संपूर्ण विकास में अपनी भागीदारी दे सकेंगे.
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