रांची में हुआ यूसीसी कानून के खिलाफ राष्ट्रीय गोष्ठी, विभिन्न राज्यों के आदिवासी प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया
Ranchi: समान नागरिक संहिता (यूसीसी) कानून के खिलाफ अब पूरे देश के आदिवासी दिल्ली चढ़ाई करेंगे. इसके खिलाफ 6 अक्टूबर को दिल्ली में धरना प्रदर्शन किया जाएगा. इसके बाद राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, गृहमंत्री और आदिवासी मंत्रालय को मांग पत्र सौंपा जाएगा. यह निर्णय रविवार को रांची के पुराना विधानसभा हॉल में आदिवासी समन्वय समिति भारत के द्वारा आयोजित सेमिनार के दौरान किया गया. इस सेमिनार में झारखंड सहित मध्य प्रदेश, गुजरात, बिहार, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, ओडिशा सहित कई राज्यों के आदिवासी प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया. कार्यक्रम की अध्यक्षता समिति के अध्यक्ष उत्तम भाई वासवा ने किया.
सेमिनार में कहा गया कि समान नागरिक संहिता ( यूसीसी) को केंद्र सरकार लागू करना चाह रही है. जिससे आदिवासियों के प्रथागत कानून, 5 वीं अनुसूची छठी अनुसूची, पेसा कानून, आरक्षण एवं आदिवासियों की जमीन किस तरह से प्रभावित होगी.वक्ताओं ने कहा कि केंद्र सरकार जबरन इस कानून को थोपना चाहती है और आदिवासियों का अस्तित्व मिटाना चाहती है. कार्यक्रम का संचालन पूर्व मंत्री एवं समिति के संयोजक देवकुमार धान ने किया. सेमिनार में गुजरात से महेंद्र भाई वसावा, राजस्थान से रामकेश मीणा, मध्य प्रदेश से भुवन सिंह कोराम, महाराष्ट्र से विश्वनाथ वाकडे, छत्तीसगढ़ से बी एस रावतेऔर अकबर कोरम ओडिशा से मंगला खलखो, पश्चिम बंगाल से सुबोध हंसदा और सुखचंद्र सोरेन, बिहार से ललित भगत, असम से जुगेश्वर उरांव, उत्तर प्रदेश से मनोज कुमार गोंड, झारखंड से देवेंद्रनाथ चंपिया, गीताश्री उरांव, प्रेमशाही मुंडा, जालेश्वर उरांव, बालमुकुंद लोहरा ने अपने विचार रखे. सेमिनार में विभिन्न समुदाय के 200 प्रतिनिधियों ने भाग लिया.
9 अगस्त को आदिवासी विरोधी दिवस मनाया जाएगा
सेमिनार में कहा गया कि 9 अगस्त विश्व आदिवासी दिवस के रुप में मनाया जाता है. पर इस बार 9 अगस्त को यूसीसी का विरोध, मणिपुर में आदिवासी महिला को निर्वस्त्र घुमाने एवं मध्य प्रदेश में आदिवासी युवक के ऊपर पेशाब करने के विरोध में आदिवासी विरोध दिवस के रूप में मनाया जाएगा.
किसने क्या कहा
केंद्र सरकार का कानून नहीं चाहिए : रिषिकेशर
गुजरात के सामाजिक कार्यकर्ता रिषि केश घोरमारे ने कहा कि हमें केंद्र सरकार का कानून नहीं चाहिए. जिसमें पूरे आदिवासी समाज को खतरे में खड़ा किया जा रहा है. यह सरकार हमारे अधिकार को समाप्त कर देगी. हम जल जंगल और जमीन से वंचित हो जाएंगे.जब यह कानून आदिवासियों के लिए सही साबित नहीं होगा, तो ऐसे कानून देश में लाने की क्या जरुरत है . हम सभी समान नागरिक संहिता का विरोध करेंगे.
हमारी रूढ़ीवादी परंपरा समाप्त हो जाएगी : गीताश्री
पूर्व शिक्षा मंत्री गीताश्री उरांव ने कहा कि देश में अनुसूचित क्षेत्र हैं. हमारे प्रथागत कानून हैं. हमारे सामाजिक मूल्यों को, हमारी व्यवस्था को अंग्रेजों ने मान्यता दी है. संविधान में 244 एक के अन्तर्गत 5,6 अनुसूची लागू है. आज भी पडहा व्यवस्था,मांझी परगना परंपरा के द्वारा चलती है. आदिवासी जल जंगल से जुड़े हैं. कभी भी इनसे कोई समझौता नहीं किया है. इसी कारण विल्सन रुल और सीएनटी एक्ट बना है.
देश में अराजकता फैलेगी : हांसदा
पश्चिम बंगाल के चौधरी हांसदा ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा समान नागरिक कानून लाया जा रहा है.जिससे देश में अराजकता फैलेगी. हमलोग जल, जंगल, जमीन से बेदखल हो जायेंगे. इसलिए यह काला कानून हमें नहीं चाहिए.
संविधान प्रदत्त कानून समाप्त हो जाएंगे : डॉ. सुबोध
पश्चिम बंगाल के डॉ. सुबोध हांसदा ने कहा कि केंद्र सरकार का यह काला कानून आदिवासी विरोधी है. इसके लागू होने से संविधान में दिए कानून समाप्त हो जाएंगे. यह लडाई पूरे समाज का है.सिद्धो-कान्हू की धरती से यूसीसी जैसे काला कानून खत्म हो जाएगा. सीएनटी एक्ट, एसपीटी एक्ट, शेड्यूल टराइब एक्ट,लिटरेसी फोरेस्ट एक्ट के साथ साथ भाषा संस्कृति भी खत्म हो जाएगी. आर्टिकल 35, नौकरी, स्कूल, कॉलेज में पढ़ाई खत्म हो जाएगी.काला कानून को खत्म करने के लिए सभी को एकजुट होकर विरोध करना होगा.
आदिवासियों को एकजुट होने की जरूरत : मंगला उरांव
ओडिशा के मंगला उरांव ने कहा कि पूरे भारत के आदिवासियों को एकजुट होने की जरूरत है. केंद्र सरकार ने आदिवासियों की पहचान और अधिकार छीनने का मंशा बना ली है. राज्य में पांचवीं शेड्यूल बना ली है. आदिवासी को मिला आरक्षण भी समाप्त हो जाएगा. देश में राष्ट्रपति हैं,वह भी नहीं सुन रहीं हैं. राजनीति से ऊपर उठकर यूसीसी का विरोध करना होगा.
बिहार के आदिवासियों की स्थिति खराब : ललित भगत
बिहार के ललित भगत ने कहा कि बिहार के आदिवासियों की स्थिति बहुत अधिक खराब है. बिहार में एक प्रतिशत नकली आदिवासी को आरक्षण दिया गया है. जो असली आदिवासी हैं उन्हें आरक्षण नहीं मिला. इसके खिलाफ भी आंदोलन तेज करना होगा. यूसीसी कानून लागू होने से सभी आदिवासी बिखर जाएंगे. पूरे देश के आदिवासियों को इस कानून का विरोध करना चाहिए.
केंद्र सरकार आदिवाासियों को जमीन से बेदखल करना चाहती है : चेतन राठौर
गुजरात के चेतन राठौर ने कहा केद्र सरकार द्वारा समान नागरिक संहिता कानून लागू कर आदिवासियों को जमीन से बेदखल करना चाहती है. शिड्यूल एरिया की जमीन को स्टेट गवर्नमेंट को देने के फिराक में है. देश में मॉनीपोली हो जाएगी. शिड्यूल एरिया में रहने वाले आदिवासी समाज के विकास की जगह विनाश होने का खतरा मंडराने लगेगा.
देश के मूल आदिवासी सड़क पर आ जाएंगे : चांपिया
पूर्व बिहार विधानसभा के उपाध्यक्ष देवेंद्र नाथ चंपिया ने कहा कि आदिवासियों की रूढ़ी वादी प्रथा जैसे शादी-विवाह अन्य समाज से अलग है.राज्य में सीएनटी, एसपीटी एक्ट लागू है.यूसीसी काला कानून है.यह लागू हुआ तो हम सभी सड़क पर आ जाएंगे.आरक्षण समाप्त हो जाएगा. आदिवासियों को कस्टम ला खत्म होने का डर सता रहा है.
हिंदू बनाए जाने का कोई औचित्य ही नहीं : मुकेश साव
भील फाउंडेशन आंफ इंडिया गुजरात के राज्य मंत्री मुकेश साव ने कहा कि आदिवासियों को हिंदू में जाने का कोई औचित्य नहीं है. उनकी सांस्कृतिक और पहचान को बदला जा रहा है. देश में आदिवासी होने का दर्जा समाप्त हो जाएगा. यूसीसी लागू होने से आदिवासी समाज की संवैधानिक कानून खत्म हो जाएगा. शिड्यूल एरिया के 5 वीं एवं छठीअनुसूची का संवैधानिक कानून भी खत्म होने का डर सता रहा है. समान नागरिक संहिता कानून लागू करना आदिवासियों को कुचलने जैसा है.
खेत-खलियान पूंजीपतियों के हाथ में चला जाएगा : मुकेश सोनवार
मध्य प्रदेश बालाघाट के मुकेश सोनवार ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा जो कानून लाया जा रहा है, वह आदिवासी मूलवासियों के लिए काला कानून है. हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई, बौद्ध की धार्मिक सांस्कृतिक और समाजिक परंपरा पर खतरा मंडरा रहा है.इससे देश कभी तरक्की नहीं करेगा.देश में रहने वाले अधिकांश आदिवासी जंगल में सुरक्षित रहते हैं. खेत-खलिहान सब पूंजी पतियों के हाथों में चला जाएगा.
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