Vinit Abha Upadhyay
Ranchi: हजारीबाग में एनटीपीसी के लिए भूमि अधिग्रहण के दौरान कथित रूप से हुए तीन हजार करोड़ के भूमि-मुआवजा घोटाला की जांच को लेकर दायर जनहित याचिका पर हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान एनटीपीसी की तरफ से अदालत में जवाब दाखिल किया गया. जवाब में एनटीपीसी ने अतिक्रमणकारियों को मुआवजा वितरण करने की बात स्वीकार कर ली है. हालांकि उसने इसके लिए सरकारी अधिकारियों-कर्मचारियों के अनुमोदन से मुआवजा बांटने की बात कही है, लेकिन कितने अतिक्रमणकारियों को किस दर पर कितना मुआवजा बांटा गया, उसका कोई विवरण एनटीपीसी ने फिलहाल नहीं दिया है. इसके साथ ही अतिक्रमणकारियों की सूची किसने बनाई ? उसका सत्यापन कैसे किया गया ? उसकी कोई जानकारी उपलब्ध नहीं कराई गई है. अब अदालत इस मामले में बुधवार को सुनवाई करेगा. झारखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस की बेंच इस मामले की सुनवाई कर रही है. इसे लेकर मंटू सोनी ने झारखंड हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की है.
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दरअसल, वर्ष 2016 में हजारीबाग में भूमि-मुआवजा से संबंधित गड़बड़ियों के सामने आने के बाद तत्कालीन डीसी मुकेश कुमार की अनुशंसा पर राज्य सरकार ने रिटायर्ड आईएएस अधिकारी देवाशीष गुप्ता की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय एसआईटी टीम गठित की थी. एसआईटी की टीम ने राज्य सरकार को अपनी रिपोर्ट में 3000 करोड़ के भूमि मुआवजा घोटाले किए जाने और 300 करोड़ मुआवजा बांट दिए जाने की जानकारी दी थी.
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प्रार्थी के मुताबिक, राज्य सरकार द्वारा कार्रवाई के नाम पर अब तक सिर्फ एनटीपीसी के प्रबंध निदेशक और हजारीबाग उपायुक्त को पत्राचार किया गया है. वहीं देवाशीष गुप्ता की अध्यक्षता वाली SIT की रिपोर्ट फिलहाल सार्वजनिक नहीं की गई है. जानकारी के मुताबिक, रिपोर्ट में कई रसूखदारों द्वारा सरकारी गैर-मजरुआ खास-आम भूमि,सार्वजनिक उपयोग की जाने वाली जमीन, श्मशान घाट, स्कूल, मैदान आदि जमीनों का भी फर्जी कागजात बनाकर मुआवजे का बंदरबांट किया गया था.