चिकित्सकों ने कहा – घबराने की नहीं, सावधान रहने की जरूरत
Giridih. : बदलते मौसम के साथ ही लोग वायरल फीवर की चपेट में आने लगे हैं. शहर से लेकर गांव तक यही स्थिति है. सदर अस्पताल सहित पीएचसी, एपीएचसी अस्पतालों में बड़ी संख्या में मरीज पहुंच रहे हैं. सदर अस्पताल के चिकित्सा पदाधिकारी डॉ रवि महर्षि की मानें तो ओपीडी में पहुंचने वाले 60 प्रतिशत मरीज वायरल फीवर से पीड़ित हैं. पूर्व में कोरोना की मार झेल चुके लोग सहमे हुए हैं, पर चिकित्सक का कहना है कि सामान्य खांसी बुखार को लेकर कोरोना का भ्रम ना पालें. मौसमी बदलाव के कारण यह वायरल बुखार हो रहा है. इसमें घबराने की नहीं, सावधान रहने की जरूरत है.
पहले से ज्यादा घातक हो गया है वायरल बुखार
वायरल सर्दी, खांसी, बुखार इन दिनों कहर बरपा रहा है. अस्पताल में इन बीमारियों से पीड़ितों से भरे पड़े हैं. सरकारी से लेकर निजी अस्पतालों की ओपीडी में बड़ी संख्या में सर्दी, खांसी व बुखार से पीड़ित लोग पहुंच रहे हैं. चिकित्सक की मानें तो वायरल बुखार पूर्व से ज्यादा घातक हो गया है. पूर्व में यह 2 से 3 दिन में ठीक हो जाता था, पर अभी मरीज के ठीक होने में 10 से 12 दिन का समय लग जा रहा है.
स्वच्छता पर ध्यान देने की जरूरत : डॉक्टर महर्षि
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सदर अस्पताल के चिकित्सा पदाधिकारी डॉ रवि महर्षि ने कहा कि अभी ओपीडी में आने वाले मरीजों में 60 प्रतिशत वायरल फीवर से ग्रसित हैं. मौसम में बदलाव से पीने का पानी दूषित हो जाता है, इससे कई बीमारियां पनपती हैं. यह बीमारियां गंदे पानी में रहने वाले छोटे-छोटे जीवाणुओं के कारण होती है, जो गंदे पानी के साथ शरीर में प्रवेश कर जाती है. इसलिए घर में कोई वायरल फीवर से पीड़ित हो तो बच्चों को इसके संपर्क में न आने दें. उन्होंने कहा कि पौष्टिक खानपान, पानी का खूब इस्तेमाल व मच्छरदानी का उपयोग करें, जबकि हरी पत्तेदार सब्जी ना खाएं, चापाकल-बोरिंग का पानी सीधे उपयोग ना करें, इसे उबालकर पिए.
121 एमपीडब्ल्यू कर रहे हैं घरों का सर्वे
मलेरिया और डेंगू से बचाव को लेकर गिरिडीह में स्वास्थ्य महकमा फिलहाल सर्वे का काम करा रही है. सिविल सर्जन डॉक्टर एसपी मिश्रा की मानें तो सर्वे के काम में 121 एमपीडब्ल्यू लगे हुए हैं. अब तक 500 से अधिक घरों का सर्वे कर लिया गया है. मिली जानकारी के अनुसार 12 जुलाई को जिला स्तरीय ट्रेनिंग हुई थी. मलेरिया व डेंगू को लेकर की जाने वाले छिड़काव जुलाई के प्रथम सप्ताह में ही शुरू की जानी चाहिए, पर अभी यह सारे काम किया जा रहे हैं. इससे विभागीय गंभीरता समझी जा सकती है.
संसाधनों की कमी के बीच कर रहे काम : सिविल सर्जन
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सदर अस्पताल में चिकित्सकों की भारी कमी है. यहां 33 की जगह मात्र 6 चिकित्सक कार्यरत हैं. सिविल सर्जन की मानें तो कम संसाधन में ही बेहतर करने की कोशिश की जा रही है. जांच की यहां बेहतर सुविधा उपलब्ध है. एसआरएल नाम की कंपनी कम कीमत पर सभी प्रकार की जांच कर रही है. साथ ही सदर अस्पताल की अपनी जांच व्यवस्था है.
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