- 2030 के सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल पर सेमिनार
- अध्ययन रिपोर्ट पेश, कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आये
Ranchi : झारखंड को 2030 के सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल को पूरा करने के लिए अगले 8 वर्षों में पोषण और खाद्य सुरक्षा पर सबसे ज्यादा ध्यान देने की आवश्यकता है, ताकि राज्य में गरीबी और कुपोषण को समाप्त किया जा सके. यह बात इंस्टीट्यूट फॉर ह्यूमन डेवलपमेंट, नयी दिल्ली के निदेशक और देश के प्रसिद्ध अर्थशास्त्री प्रोफेसर अलख एन शर्मा ने डॉ. रामदयाल मुंडा जनजातीय कल्याण शोध संस्थान में सेमिनार को संबोधित करते हुए कही. सेमिनार का आयोजन इंस्टीट्यूट फॉर ह्यूमन डेवलपमेंट, वेल्थंगरहिल्फे और फिया फाउंडेशन ने संयुक्त रूप से किया.
प्रगति के बावजूद खाद्य असुरक्षा की स्थिति- रमेश शरण
सेमिनार में झारखंड में पोषण और खाद्य सुरक्षा स्थिति के विभिन्न पहलुओं को लेकर किए गये अध्ययन को भी रखा गया. इंस्टीट्यूट फॉर ह्यूमन डेवलपमेंट के पूर्वी क्षेत्रीय केंद्र के निदेशक प्रोफेसर रमेश शरण ने कहा कि प्रगति के बावजूद झारखंड खाद्य असुरक्षा की स्थिति का सामना कर रहा है. यह अध्ययन राज्य में खाद्य सुरक्षा की स्थिति की मैपिंग करने की दिशा में एक प्रयास है.
बच्चों को हर दिन मध्याह्न भोजन में अंडा मिले- ज्यां द्रेज
रांची विश्वविद्यालय के विजिटिंग प्रोफेसर ज्यां द्रेज ने कहा कि बच्चों को हर दिन मध्याह्न भोजन में अंडा दिया जाना चाहिए, क्योंकि यह सबसे पौष्टिक आहार है. यह राज्य में पोषण को बढ़ावा देने में बड़ा काम आएगा. यह स्कूल में उपस्थिति भी बढ़ाएगी. इसके अलावा टेक होम राशन, मातृत्व लाभ और आईसीडीएस का बड़ा महत्व है, जिसे सरकार को और भी उन्नत करना चाहिए. यह राज्य में खाद्य सुरक्षा को सुधारने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है.
अंत्योदय का तय कोटा काफी कम- बलराम
भोजन के अधिकार अभियान के बलराम जी ने कहा कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून के लिए सरकार ने अंत्योदय का जो कोटा निर्धारित किया, उसमें राज्य की हिस्सेदारी के मुकाबले 3 लाख कम तय किया है, जिसका नुकसान राज्य को हो रहा है. राज्य में पोषण और खाद्य सुरक्षा स्थिति को लेकर किए गये अध्ययन में कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आये हैं. सेमिनार को जॉनसन टोपनो, श्रीरंजन, हलधर महतो, हरीश्वर दयाल ने भी संबोधित किया.
अध्ययन में सामने आये तथ्य
- प्राथमिक रिपोर्ट के अनुसार राज्य के लोग अपनी कृषि उपज से मात्र एक तिहाई अनाज की जरूरत ही पूरा कर पाते हैं.
- 11% लोग अनाज खरीदकर अपनी जरूरत को पूरा करने में सक्षम हैं.
- बाकी लोग पीडीएस से अपनी जरूरत का अनाज पूरा कर पाते हैं.
- राज्य में पोषण और खाद्य सुरक्षा स्थिति बेहतर नहीं हो सकी है.
- कोरोना के बाद राज्य में स्वच्छता और स्वास्थ्य के प्रति लोगो में जागरूकता बढ़ी है.
सरकारी कार्यक्रमों पर विशेषज्ञों ने कहा
- सरकारी कार्यक्रमों की पहुंच और पूर्वावलोकन में समस्या है. कार्यान्वयन में समस्या मौजूद है.
- सुरक्षित पीने के पानी की पहुंच और घरों की खाद्य सुरक्षा के बीच उच्च संबंध है़
- शहरी क्षेत्रों में खाद्य सुरक्षा, पोषण और दरिद्रता आदि मुद्दे भी चर्चा और अध्ययनों में शामिल किया जाना चाहिए.
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