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दो करोड़ जनगणना परिपत्र में सरना कोड दर्ज कराने को 29 मई से न्याय यात्रा

Ranchi: सरना धर्म के अस्तित्व की रक्षा, धार्मिक स्थलों की सुरक्षा और संविधान प्रदत्त आदिवासी अधिकारों के संरक्षण के उद्देश्य से "राष्ट्रीय सरना धर्म न्याय यात्रा" का शुभारंभ 29 मई को उड़ीसा के प्रसिद्ध सरना पूजा स्थल, उदित नगर (राउरकेला) से किया जाएगा. इस आंदोलन का नेतृत्व धर्मगुरु बंधन तिग्गा करेंगे. गुरुवार को हरमू स्थित देशावली में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में राजी पड़हा सरना प्रार्थना सभा के अध्यक्ष चंपा कुजुर, आदिवासी छात्र संघ के अध्यक्ष सुशील उरांव, तानसेन गाड़ी, केंद्रीय प्रवक्ता संजय पाहन और रवि तिग्गा ने यात्रा की जानकारी दी.
मुख्य मांगे और उद्देश्य
नेताओं ने बताया कि अप्रैल 2026 में होने वाली जनगणना में देशभर के दो करोड़ से अधिक सरना अनुयायियों को ‘सरना धर्म’ के रूप में दर्ज कराना इस आंदोलन का प्रमुख उद्देश्य है.
ये हैं मांगें
• मूड़हर पहाड़, लुगू बुरू, मरंग बुरू, दिवड़ी दीरी जैसे ऐतिहासिक आदिवासी पूजा स्थलों पर हो रहे धार्मिक अतिक्रमण का विरोध किया जाएगा. • अनुसूचित क्षेत्रों में पंचायत (अनुसूचित क्षेत्रों में विस्तार) अधिनियम यानी PESA कानून के सख्त पालन की मांग की जाएगी. • झारखंड सहित अन्य आदिवासी बहुल राज्यों में सरकारी प्रपत्रों (जैसे जाति प्रमाण पत्र, निवास प्रमाण पत्र, विद्यालय फॉर्म आदि) में `सरना धर्म` को पुनः शामिल करने की मांग की जाएगी. • सरना समाज की सामाजिक संरचना को संरक्षित करने के लिए विभिन्न जिलों में शराब की बिक्री पूरी तरह बंद करने की अपील की जाएगी.
देशभर में जागरूकता अभियान का विस्तार
यह न्याय यात्रा केवल झारखंड तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि छत्तीसगढ़, ओडिशा, असम और पश्चिम बंगाल जैसे आदिवासी बहुल राज्यों में भी प्रचार-प्रसार किया जाएगा. यात्रा के दौरान सरना प्रार्थना सभाएं, जनसभाएं, सेमिनार और युवा नेतृत्व प्रशिक्षण शिविरों का आयोजन कर समुदाय को जागरूक और संगठित किया जाएगा. इसे भी पढ़ें - IAS">https://lagatar.in/ias-vinay-chaubeys-health-is-stable-at-present-rims-formed-a-team-of-doctors/">IAS

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