NewDelhi : सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि किसी भी समुदाय के धार्मिक और भाषायी अल्पसंख्यक का दर्जा राज्य की आबादी के आधार पर राज्यवार निर्धारित होना चाहिए. अगर मिजोरम और नगालैंड में बहुसंख्यक ईसाइयों को अल्पसंख्यक का दर्जा दिया जाये या पंजाब में सिखों को अल्पसंख्यक समुदाय माना जाये, तो यह न्याय का उपहास होगा
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अल्पसंख्यकों की पहचान के लिए निर्देश देने का आग्रह
जान लें कि हिंदुओं को कई राज्यों में अल्पसंख्यक का दर्जा देने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई के क्रम में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने यह बात कही. SC मथुरा के देवकीनंदन ठाकुर द्वारा एनसीएम अधिनियम के एक प्रावधान को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें केंद्र को अल्पसंख्यक को परिभाषित करने और जिला स्तर पर अल्पसंख्यकों की पहचान के लिए दिशानिर्देश निर्धारित करने का निर्देश देने का आग्रह किया गया था.
सुप्रीम कोर्ट के समक्ष पीआईएल दाखिल कर उन राज्यों में हिंदुओं को अल्पसंख्यक समुदाय घोषित करने की मांग की गयी है, जहां उनकी आबादी दूसरे समुदायों से कम हैं. जस्टिस यूयू ललित, एस रवींद्र भट और सुधांशु धूलिया की पीठ ने कहा कि इस तरह के किसी भी समुदाय को धार्मिक या भाषायी अल्पसंख्यक कम्युनिटी माना जायेगा.
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मराठी भाषी महाराष्ट्र के बाहर अल्पसंख्यक होंगे
कोर्ट का कहना था कि मराठी भाषी लोग महाराष्ट्र के बाहर अल्पसंख्यक समुदाय होंगे, जबकि कन्नड़ बोलने वाले लोग महाराष्ट्र में अल्पसंख्यक हैं. याचिकाकर्ता का कहना था कि जम्मू-कश्मीर, मिजोरम, नगालैंड, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश, लक्षद्वीप, मणिपुर और पंजाब में हिंदू अल्पसंख्यक हैं लेकिन केंद्र सरकार ने देश में केवल मुसलमानों, ईसाइयों, पारसियों, सिखों, बौद्धों और जैनों को अल्पसंख्यक का दर्जा दिया है.
सुनवाई के क्रम में सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया कि वह हिंदुओं के लिए अल्पसंख्यक दर्जे के मामले की हवा में समीक्षा नहीं करेगा. SC ने सोमवार को याचिकाकर्ता से कहा कि वह इस बारे में कोई ठोस उदाहरण पेश करे कि हिंदुओं को उन राज्यों में अल्पसंख्यक का लाभ नहीं मिल रहा है जहां उनकी आबादी दूसरे समुदायों से कम है.
आम धारणा यह है कि हिंदू अल्पसंख्यक नहीं हो सकते
राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग अधिनियम के एक प्रावधान को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए तीन जजों की पीठ ने कहा कि वह इस मुद्दे से तभी निपटेगी जब अदालत के समक्ष कोई ठोस मामला पेश किया जायेगा. याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अरविंद दातार ने कहा कि आम धारणा यह है कि हिंदू अल्पसंख्यक नहीं हो सकते.
पीठ ने इस क्रम में पूछा कि क्या कोई ऐसा ठोस मामला सामने आया है कि हिंदुओं को अल्पसंख्यक घोषित नही किये जाने के कारण उन्हें उन राज्यों में लाभ से वंचित कर दिया जाता है जहां वे अल्पसंख्यक हैं. उन्होंने मिजोरम नगालैंड, कश्मीर का जिक्र किया.
याचिकाकर्ता के वकील दातार ने सुप्रीम कोर्ट में लंबित एक याचिका के बारे में पीठ को बताया जिसमें राज्य स्तर पर अल्पसंख्यकों की पहचान के लिए दिशानिर्देश तैयार करने का निर्देश देने का आग्रह किया गया है. कहा गया है कि 10 राज्यों में हिंदू अल्पसंख्यक हैं. पीठ ने मामले को दो सप्ताह के लिए स्थगित कर दिया.
किन राज्यों में अल्पसंख्यक हैं हिंदू
याचिकाकर्ता ने कुछ राज्यों/केंद्रशासित प्रदेश का हवाला दिया, जहां हिंदुओं की आबादी दूसरे समुदायों से कम है. बताया कि लद्दाख में हिंदुओं की आबादी 1 प्रतिशत, मिजोरम में 2.8 प्रतिशत, लक्षद्वीप में 2.8 प्रतिशत, कश्मीर में 4 प्रतिशत, नगालैंड में 8.7 प्रतिशत, मेघालय में 11.5 प्रतिशत, अरुणाचल प्रदेश में 29 प्रतिशत, पंजाब में 38.5 प्रतिशत और मणिपुर में 41.3 प्रतिशत है.
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