Advertisement

Panic@Patna : कोविड टेस्ट कराने वाले हर पांच में एक व्यक्ति मिल रहा पॉजिटिव

Patna : बिहार में कोरोना की दूसरी लहर अब कहर बरपाने लगी है. खासकर राजधानी पटना में तो स्थिति पैनिक हो गई है और नियंत्रण से बाहर होती जा रही है. पिछले 48 घंटे में बिहार में 313 लोगों की मौत हो गयी है. इनमें 82  की मौत पटना जबकि 231 लोगों की मौत अन्‍य जिलों में हो गयी. पटना में कोविड जांच कराने वाले हर पांच में एक व्यक्ति कोरोना पॉजिटिव मिल रहा है. लोगों की बढ़ती गतिविधियों और लापरवाही के कारण यहां हालात बेकाबू हो गए हैं. अप्रैल महीने में संक्रमण की रफ्तार काफी तेज रही और मई शुरू होते ही यह और बढ़ गई है. यह खुलासा पटना में कराए जा रहे कोरोना जांच सर्वेक्षण में हुआ है. ग्रामीण क्षेत्रों में अब भी संक्रमण शहर की तुलना में काफी कम है. पटना जिले में प्रतिदिन औसतन 15 हजार लोगों की जांच कराई जा रही है. इसमें औसतन तीन हजार लोग संक्रमित पाए जा रहे हैं.

पटना में रोज 15 हजार लोगों की हो रही जांच

पटना के सभी जांच केंद्रों के अलावा पीएमसीएच , एनएमसीएच, पटना एम्स एवं प्राइवेट लैब में औसतन 15 हजार लोगों की जांच की जा रही है. इसमें हर पांचवां व्यक्ति संक्रमित पाया जा रहा है. पटना जिले में अब तक 16 लाख 97 हजार 129 लोगों का सैंपल कोरोना जांच के लिए संग्रहित किया गया है. इसमें एक लाख 6 हजार 784 लोगों में बीमारी की पुष्टि हुई. इनमें 88 हजार 877 लोग अस्पतालों से उपचार करने के बाद डिस्चार्ज हो चुके हैं. वर्तमान में पटना जिले में 17 हजार 590 कोरोना के सक्रिय मरीज हैं. पटना जिले में कोरोना से 316 लोगों की मौत हो चुकी है.

60% लोगों में वायरस का सामान्य संक्रमण

पटना जिले में संक्रमित मरीजों के अध्ययन से पता चला है कि 60% लोगों में वायरस का सामान्य संक्रमण है, लेकिन सर्दी-खांसी और बुखार तथा ऑक्सीजन का लेवल कम होने के बाद लोग परेशान हो जा रहे हैं. इसीलिए अस्पतालों में भर्ती कराने को लेकर अफरातफरी मच जा रही है. सामान्य संक्रमण होने पर होम क्वॉरंटाइन में रहकर भी उपचार किया जा सकता है जबकि 40% मामले गंभीर पाए जा रहे हैं. पटना के सरकारी एवं प्राइवेट अस्पतालों में प्रतिदिन लगभग डेढ़ सौ मरीज भर्ती होने के लिए आ रहे हैं, लेकिन इस अनुपात में अस्पतालों में बेड उपलब्ध नहीं है. अस्पतालों में प्रतिदिन 50 से 55  बेड ही मरीजों के डिस्चार्ज होने के बाद खाली हो पा रहे हैं. ऐसी स्थिति में मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों में तैनात मजिस्ट्रेट भी मरीजों को भर्ती कराने में सक्षम नहीं हो पा रहे हैं.