New Delhi : भारतीय न्याय प्रणाली पर दूरगामी प्रभाव डालने वाले तीन विधेयकों भारतीय न्याय संहिता, 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 और भारतीय साक्ष्य विधेयक, 2023 पर विचार करने वाली संसद की समिति के समक्ष प्रस्तुति देने के लिए विपक्षी सांसदों ने 16 विशेषज्ञों की सूची पेश की है. इनमें पूर्व CJI यूयू ललित, वरिष्ठ अधिवक्ता फली एस नरीमन, मेनका गुरुस्वामी के नाम शामिल हैं. सूत्रों ने यह जानकारी दी है. नेशनल खबरों के लिए यहां क्लिक करें
गृह संबंधी स्थायी समिति तीन विधेयकों पर विचार कर रही है
भारतीय जनता पार्टी के सांसद बृजलाल की अध्यक्षता वाली संसद की गृह संबंधी स्थायी समिति इन तीनों विधेयकों पर विचार कर रही है. सूत्रों ने बताया कि समिति के विपक्षी सांसदों ने सुझाव दिया कि इसके बारे में जानकारी और प्रस्तुति देने के लिए विषय विशेषज्ञों के रूप में उच्चतम न्यायालय, उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों, बार काउंसिल के सदस्यों, विधि विशेषज्ञों, जेल अधिकारियों, सुधार कार्यकर्ताओं, धार्मिक नेताओं, साइबर अपराध विशेषज्ञों आदि को बुलाया जाना चाहिए. एक विपक्षी सांसद ने समिति को बताया कि जिस रफ्तार से इन विधेयकों पर विचार किया जा रहा है, उससे इन तीनों प्रस्तावित विधानों का अध्ययन करने में एक से डेढ़ वर्ष लग जायेगा.
बात रखने के लिए पर्याप्त समय नहीं दिये जाने की शिकायत
इससे पहले, सूत्रों ने मंगलवार को बताया था कि समिति के कुछ विपक्षी सांसदों ने समिति के समक्ष प्रस्तुति देने वाले विषय विशेषज्ञों की पसंद को लेकर भी अपनी चिंता व्यक्त की थी. इन सांसदों ने यह भी आरोप लगाया कि बैठक के कार्यवृत (मिनट्स) ठीक ढंग से दर्ज नहीं किये गये. कुछ विपक्षी सांसदों ने यह शिकायत की थी कि उन्हें अपनी बात रखने के लिए पर्याप्त समय नहीं दिया गया. सोमवार को समिति की बैठक में सीबीआई के पूर्व निदेशक प्रवीण सिन्हा, विधि कार्य विभाग की संयुक्त सचिव डॉ पद्मिनी सिंह और पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्यूरो की अधिकारी अनुपमा निलेकर चंद्रा ने अपने विचार प्रस्तुत किये. इन विशेषज्ञों ने उक्त तीनों विधेयकों पर प्रस्तुति दी और समिति के सदस्यों ने कुछ विषयों को समझने के लिए उनसे सवाल भी पूछे थे.
नये कानून में मॉब लिचिंग के लिए सात साल या आजीवन कारावास
मंगलवार को हुई समिति की बैठक में पूर्व पुलिस महानिदेशक डॉ. विक्रम सिंह, गुजरात के पूर्व पुलिस महानिदेशक केशव कुमार तथा गुजरात के गांधीनगर स्थित राष्ट्रीय फॉरेंसिक विज्ञान विश्वविद्यालय के प्रोफेसर नवीन चौधरी ने प्रस्तुति दी. प्रस्तावित नये कानूनों में मॉब लिचिंग (भीड़ द्वारा पीटकर हत्या) के लिए सात साल या उससे अधिक या आजीवन कारावास या मृत्युदंड का प्रस्ताव किया गया है और साथ ही राजद्रोह कानून को समाप्त करने की बात कही गयी है. इसमें भगोड़े आरोपियों की अनुपस्थिति में उन पर मुकदमा चलाने का प्रस्ताव भी किया गया है.