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विपक्षी सांसदों ने मणिपुर पर चर्चा के लिए संसद के दोनों सदनों में कार्य स्थगन के नोटिस दिये

New Delhi : कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी, मणिकम टैगोर और कुछ अन्य विपक्षी सांसदों ने मणिपुर के मामले पर संसद के दोनों सदनों में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बयान और चर्चा की मांग करते हुए शुक्रवार को कार्य स्थगन के नोटिस दिये. लोकसभा सदस्य मनीष तिवारी ने सदन में चर्चा की मांग करते हुए कहा कि सरकार को वहां की स्थिति के बारे में जानकारी देने के साथ ही यह भी बताना चाहिए कि शांति बहाली के लिए क्या उपाय किये गये और किस तरह की नीतियां अमल में लायी गयी ?      नेशनल">https://lagatar.in/category/desh-videsh/">नेशनल

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प्रधानमंत्री मोदी को राज्य की स्थिति के बारे में  स्पष्टीकरण देना चाहिए

मणिकम टैगोर ने कहा कि मणिपुर में महिलाओं और बच्चों के खिलाफ हिंसा के विषय पर प्राथमिकता के आधार पर चर्चा होनी चाहिए तथा प्रधानमंत्री मोदी को राज्य की स्थिति के बारे में सदन में स्पष्टीकरण देना चाहिए. राज्यसभा में कांग्रेस के उप नेता प्रमोद तिवारी ने नियम 267 के तहत दिये गये नोटिस में मणिपुर के विषय पर चर्चा की मांग की और यह भी कहा कि प्रधानमंत्री को सदन में बयान देना चाहिए.

संसद के दोनों सदनों में विपक्ष के हंगामे के कारण कार्रवाई बाधित हुई  

मानसून सत्र के पहले दिन, कल गुरुवार को संसद के दोनों सदनों में मणिपुर के विषय पर विपक्ष के हंगामे के कारण कार्रवाई बाधित हुई थी. संसद का मानसून सत्र शुरू होने से पहले, मीडिया को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि इस मामले में कानून सख्ती से एक के बाद एक कदम उठाएगा. उन्होंने कहा था, ‘मणिपुर की बेटियों के साथ जो हुआ है… इसके दोषियों को कभी माफ नहीं किया जा सकता.

आदिवासी एकजुटता मार्च वाले दिन मणिपुर में हिंसा भड़क गयी थी

मणिपुर में दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर परेड कराने का वीडियो बुधवार को सामने आने के बाद राज्य के पहाड़ी क्षेत्र में तनाव व्याप्त हो गया है अधिकारियों ने बताया कि यह वीडियो चार मई का है. राज्य में अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मांग को लेकर मेइती समुदाय द्वारा पहाड़ी जिलों में तीन मई को आयोजित ‘ट्राइबल सॉलिडारिटी मार्च’ (आदिवासी एकजुटता मार्च) वाले दिन मणिपुर में जातीय हिंसा भड़क गयी थी. अभी तक इसमें 150 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है. मणिपुर में मेइती समुदाय की आबादी करीब 53 प्रतिशत है और वे मुख्य रूप से इंफाल घाटी में रहते हैं. वहीं, नगा और कुकी समुदाय के आदिवासियों की आबादी 40 प्रतिशत है और वे पहाड़ी जिलों में रहते हैं. [wpse_comments_template]

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