NewDelhi : वन रैंक वन पेंशन (OROP) के बकाया मामले में केंद्र सरकार को SC से बड़ा झटका लगा है. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को 70 साल से अधिक उम्र के पेंशनर्स को 30 जून तक पूरा भुगतान करने को कहा है. साथ ही 30 अप्रैल 2023 तक 6 लाख फैमिली पेंशनर और गेलेंटरी अवार्ड वाले पेंशनरों को एकमुश्त पेंशन देने का आदेश दिया है. पेंशनभोगियों की शेष बकाया राशि का भुगतान 30 अगस्त 2023, 30 नवंबर 2023 और 28 फरवरी 2024 को या उससे पहले समान किश्तों में किया जायेगा. हालांकि केंद्र ने अदालत में प्रस्ताव दिया था कि तीन और किश्तों में यह भुगतान इस साल 31 सितंबर, 31 दिसंबर और 31 मार्च 2024 को कर दिया जायेगा. लेकिन कोर्ट ने बकाया भुगतान की समय सीमा बदल दी. (पढ़ें, सांसद निशिकांत दुबे की PIL पर HC से बंगाल सरकार को नोटिस, केंद्र से मांगा जवाब)
Retired servicemen aged 70 and above shall be paid OROP dues in one or more instalments by June 30 this year: SC
— Press Trust of India (@PTI_News) March 20, 2023
Six lakh family pensioners and gallantry award winners will be paid OROP dues by April 30, says SC
— Press Trust of India (@PTI_News) March 20, 2023
इस तरह तीन किस्तों में बकाया पेंशन का भुगतान करेगी सरकार
वन रैंक वन पेंशन मामले में कोर्ट ने पहले ही आदेश जारी कर दिया है. लेकिन सरकार ने कोई ठोस प्रस्ताव नहीं दिया था. अब सरकार का कहना है कि एक साथ भुगतान करना मुश्किल है. इसलिए सरकार ने कोर्ट से चार किश्तों में भुगतान की मोहलत मांगी थी. लेकिन चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच ने स्वीकार नहीं किया और तीन किश्तों में भुगतान का निर्देश दिया. बता दें कि देश में कुल पेंशनर्स की संख्या करीब 25 लाख है. जिसका एरियर करीब 28 हजार करोड़ है. यह एरियर 2019 से दिया जाना है. वित्त मंत्रालय ने यह भुगतान एक साथ करने में असमर्थता जता चुका है.
OROP dues for 10-11 lakh pensioners shall be paid in 3 equal instalments by Feb 28 next year: SC
— Press Trust of India (@PTI_News) March 20, 2023
पेंशन भुगतान को लेकर रक्षा मंत्रालय की सील कवर रिपोर्ट
वन रैंक वन पेंशन (OROP) नीति के तहत पेंशन भुगतान का मामले में सुप्रीम कोर्ट ने पेंशन भुगतान को लेकर रक्षा मंत्रालय की सील कवर रिपोर्ट को लेने से इनकार कर दिया. कोर्ट ने कहा कि हम सील कवर या गोपनीय रिपोर्ट स्वीकार नहीं करेंगे. CJI डी वाई चंद्रचूड़ ने AG वेंकटरमनी को कहा कि वह सीलबंद लिफाफों की प्रथा के खिलाफ हैं. यह निष्पक्ष न्याय के बुनियादी सिद्धांतों के खिलाफ है. हम सुप्रीम कोर्ट में सीलबंद कवर बिजनेस को खत्म करना चाहते हैं, क्योंकि अब हाईकोर्ट भी इसका इस्तेमाल करने लगेंगे. या तो विरोधी पक्ष को इसकी कॉपी दीजिए या फिर उन्हें चेंबर में ले जाकर जानकारी दें. इस मामले में क्या गोपनीयता हो सकती है. हमने बकाया का आदेश दिया है, जिसका पालन किया जाने लगा है.
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