Ranchi: केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के माध्यम से हमारी सेनाओं ने अपनी वीरता, सटीकता और साहस का प्रदर्शन पूरी दुनिया के सामने किया है. उनके इस अद्वितीय पराक्रम के लिए पूर्वी क्षेत्रीय परिषद ने सर्वसम्मति से धन्यवाद प्रस्ताव पारित किया है. शाह गुरुवार को रांची में आयोजित पूर्वी क्षेत्रीय परिषद की बैठक को संबोधित कर रहे थे.
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दृढ़ इच्छाशक्ति का परिचय देते हुए आतंकवाद के अंत का स्पष्ट संकल्प विश्व मंच पर प्रस्तुत किया है.
स्वतंत्रता संग्राम में झारखंड का महत्वपूर्ण योगदान
अमित शाह ने कहा कि देश के स्वतंत्रता संग्राम में झारखंड की भूमि का अत्यंत महत्वपूर्ण योगदान रहा है. इस भूमि से भगवान बिरसा मुंडा सहित कई महान स्वतंत्रता सेनानियों ने देश की आज़ादी के आंदोलनों का नेतृत्व किया.
उन्होंने कहा कि पूरा पूर्वी भारत भक्ति, ज्ञान, संगीत, वैज्ञानिक अनुसंधान और क्रांति की धरती रहा है. स्वामी विवेकानंद, नेताजी सुभाष चंद्र बोस, डॉ. राजेन्द्र प्रसाद, बाबू जगजीवन राम जैसी महान विभूतियों ने इसी क्षेत्र से देश को विभिन्न क्षेत्रों में नेतृत्व प्रदान किया. यह भूमि सांस्कृतिक चेतना, भक्ति और क्रांति का संगम है, जिसने भारत की आत्मा को दिशा देने का कार्य किया है.
सहकारी संघवाद के आधार पर TEAM BHARAT की परिकल्पना
शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने सहकारी संघवाद के आधार पर TEAM BHARAT की परिकल्पना देश के सामने रखी है. इसका उद्देश्य राज्यों के विकास के माध्यम से भारत को 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बनाना है.
उन्होंने कहा कि हमारे संघीय ढांचे को मज़बूती प्रदान करने के लिए अंतरराज्यीय परिषद और क्षेत्रीय परिषदों को संविधान और कानून के माध्यम से सशक्त बनाया गया है, और इन्हीं आधारों पर इन परिषदों की बैठकें आयोजित की जाती हैं.
शाह ने बताया कि वर्ष 2014 से 2025 के दौरान इन बैठकों के आयोजन की गति दुगुनी से भी अधिक हो गई है और अब ये पहले की तुलना में कहीं अधिक परिणामदायक सिद्ध हो रही हैं.
एडवाइजरी से एक्शनेबल प्लेटफॉर्म बनीं क्षेत्रीय परिषदें
शाह ने बताया कि क्षेत्रीय परिषदों की कल्पना उन्हें सहकारी संघवाद की सशक्त आधारशिला बनाने के उद्देश्य से की गई थी. पहले ये परिषदें केवल परामर्शदायी मंच (Advisory Body) थीं, लेकिन अब ये कार्यशील मंच (Actionable Platform) बन चुकी हैं.
इनके माध्यम से केंद्र और राज्यों तथा राज्यों के आपसी मुद्दों को काफी हद तक सुलझाया गया है. ये परिषदें अब केवल चर्चा का मंच नहीं, बल्कि सहयोग का इंजन बन गई हैं.
उन्होंने बताया कि 2004 से 2014 के बीच कुल 25 बैठकें हुईं, जबकि 2014 से 2025 के बीच इनकी संख्या बढ़कर 63 हो चुकी है.
इन बैठकों में कुल 1580 मुद्दों पर चर्चा हुई, जिनमें से 1287, अर्थात 83 प्रतिशत मुद्दों का समाधान किया जा चुका है, जो इन बैठकों की सार्थकता और प्रभावशीलता को दर्शाता है.
कई जटिल मुद्दों पर हुई चर्चा
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि बैठक में मसंजौर बांध, तैयबपुर बैराज और इंद्रपुरी जलाशय से संबंधित लंबे समय से लंबित जटिल मुद्दों पर विस्तृत चर्चा की गई. इसके साथ ही, बिहार के विभाजन के समय से लंबित सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों की संपत्तियों और देनदारियों के बिहार और झारखंड के बीच विभाजन को लेकर भी गहन चर्चा हुई. इन विषयों पर आपसी सहमति से समाधान की दिशा में निर्णायक कदम उठाए गए हैं.
शाह ने यह भी कहा कि तीन नए आपराधिक कानूनों के क्रियान्वयन के लिए पूर्वी राज्यों को तेजी से और ठोस प्रयास करने की आवश्यकता है.
नार्कोटिक्स पर सख्ती की जरूरत
उन्होंने जोर देकर कहा कि पूर्वी भारत के राज्यों में नशीले पदार्थों (नार्कोटिक्स) की रोकथाम के लिए और अधिक प्रभावी कदम उठाने की जरूरत है. इसके लिए जिला स्तरीय NCoORD (Narco Coordination Centre) की बैठकें नियमित रूप से आयोजित की जानी चाहिए.
कौशल प्रशिक्षण में नवाचार पर बल
शाह ने कहा कि पूर्वी क्षेत्र के राज्यों को कौशल विकास के क्षेत्र में परंपरागत और संरचनात्मक ढांचे से आगे बढ़कर, स्थानीय आवश्यकताओं के अनुरूप नए पाठ्यक्रम तैयार करने चाहिए.
नक्सलवाद पर बड़ी सफलता, 2026 तक लक्ष्य
उन्होंने बताया कि नक्सलवाद के खिलाफ सभी राज्यों की एकजुटता और सुरक्षा बलों की बहादुरी से देश को अभूतपूर्व सफलता मिली है. बिहार, झारखंड और ओडिशा काफी हद तक नक्सलवाद से मुक्त हो चुके हैं. हमारा लक्ष्य है कि 31 मार्च 2026 तक देश को पूरी तरह नक्सलवाद से मुक्त कर दिया जाए.
महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा पर विशेष जोर
बैठक में महिलाओं और बच्चों के खिलाफ यौन अपराधों की त्वरित जांच और शीघ्र निपटान के लिए फास्ट ट्रैक विशेष न्यायालयों के क्रियान्वयन पर भी चर्चा हुई.
अन्य महत्वपूर्ण विषयों पर भी चर्चा
• प्रत्येक गांव के लिए बैंकिंग सुविधा उपलब्ध कराने हेतु ब्रिक-एंड-मोर्टार बैंकिंग ढांचे की जरूरत पर बल.
• आपातकालीन प्रतिक्रिया सहायता प्रणाली (ERSS-112) के प्रभावी क्रियान्वयन पर जोर.
• पोषण, शिक्षा, स्वास्थ्य, विद्युत, शहरी नियोजन और सहकारिता के क्षेत्र में सुधार हेतु सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता.
गृह मंत्री ने इन बिंदुओं पर दिया विशेष बल
• पूरा पूर्वी भारत भक्ति, ज्ञान, संगीत, वैज्ञानिक अनुसंधान और क्रांति की भूमि रहा है.
• शिक्षा के मूल आदर्शों की स्थापना में पूर्वी भारत का योगदान उल्लेखनीय है.
• मोदी सरकार में क्षेत्रीय परिषदें अब Forum of Discussion नहीं, बल्कि Engine of Cooperation बन चुकी हैं.
• क्षेत्रीय परिषदों की बैठकों में अब तक 83% मुद्दों का समाधान हो चुका है, जो इसकी प्रभावशीलता दर्शाता है.
• TEAM BHARAT की परिकल्पना के तहत राज्यों के विकास से राष्ट्र का विकास सुनिश्चित किया जा रहा है.
• वर्ष 2004 से 2014 के बीच क्षेत्रीय परिषदों की 25 बैठकें हुईं, जबकि 2014 से 2025 में यह संख्या 63 हो गई है.
• तीन नए आपराधिक कानूनों के पूर्ण कार्यान्वयन के लिए पूर्वी राज्यों को तेज प्रयास करने की आवश्यकता है.