Basant Munda
Ranchi : सावन का दूसरा सप्ताह चल रहा है. बीते 30 दिनों से रांची और आसपास के ग्रामीण इलाकों में लगातार बारिश हो रही है. खेतों में अब हरियाली की चादर बिछनी शुरू हो गई है. किसानों के चेहरों पर खुशहाली दिख रही है. खेतों में हरियाली की उम्मीद लौट आई है. बारिश के साथ ही किसानों ने खेतों में हल चलाना शुरू कर दिया है. वहीं घर की महिलाएं और पड़ोस की अन्य महिलाएं सुबह होते ही बिचड़ा उखाड़ने के लिए निकल पड़ती हैं.
धान की रोपनी का यह समय केवल कृषि कार्य नहीं, बल्कि एक सामाजिक सहयोग भी दिख रहा है. बिचड़ा उखाड़ने और रोपने के लिए मजदूरी की दरें भी तय हैं. सुबह 10 बजे से दोपहर 1 बजे तक और फिर 5 बजे तक काम करने वालों को 250 से 300 रुपये तक की मजदूरी दी जा रही है. कुछ जगहों पर बिचड़ा उखाड़ने के लिए अलग से राशि दी जाती है.
रातु, ठाकुरगांव और बुड़मु, पिठौरिया, ईटकी, नगड़ी, बेडो, नामकोम समेत रांची जैसे इलाकों में इस बार रोपनी को लेकर खास रौनक है. रातु के बाड़ी टोला में एक अनोखी मिसाल देखने को मिली, जहां दो किसान कार्तिक मुंडा और छोटन मुंडा आपसी सहयोग की परंपरा को निभा रहे हैं. दोनों एक-दूसरे के खेतों में बिना किसी मजदूरी के काम कर रहे हैं. जब संवाददाता खेत की पगडंडी पर चलते हुए वहां पहुंचे और उनसे बातचीत की, तो कार्तिक मुंडा ने मुस्कराते हुए कहा कि हम दोनों एक-दूसरे का खेत जोतते हैं. जब मेरे खेत की जुताई पूरी होगी, तो छोटन मुंडा के खेत में हमारा परिवार रोपनी करेगा. यही हमारी परंपरा है.