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पद्मश्री मधु ने गांव छोड़ब नाही, जंगल छोड़ब नाही.. गाकर लोगों को खूब झुमाया

Jamshedpur : दी सैल्यूलायड चैप्टर और कला मंदिर की मेजबानी में आयोजित दो दिवसीय स्वर्णरेखा महोत्सव का रविवार को समापन हो गया. दूसरे दिन के कार्यक्रम के मुख्य अतिथि नागपुरी के प्रसिद्ध गायक पद्मश्री से सम्मानित मधु मंसूरी थे. उन्होंने कहा कि अपनी मातृभाषा, परंपरा और संस्कृति को संरक्षण दिया जाएगा. उन्होंने हमेशा माटी से प्रेम किया है और जनहित में आंदोलन भी किया है. माटी को लेकर उनकी लड़ाई निरंतर जारी रहेगी. अपने संबोधन के दौरान मधु मंसूरी ने अपना मशहूर गीत गांव छोड़ब नाही, जंगल छोड़ब नाही, माय माटी छोड़ब नाही गाकर लोगों को खूब झुमाया. दूसरे दिन के कार्यक्रम में झारखंड के लोक नृत्य की धूम रही. https://lagatar.in/wp-content/uploads/2021/12/BISHTUPUR-G-TOWN-11-277x300.jpg"

alt="" width="277" height="300" /> इसे भी पढ़ें : बोकारो">https://lagatar.in/bokaro-rape-of-a-girl-who-came-out-to-defecate-accused-absconding/">बोकारो

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https://lagatar.in/wp-content/uploads/2021/12/BISHTUPUR-G-TOWN-22-232x300.jpg"

alt="" width="232" height="300" /> पारंपरिक वेषभूषा में कलाकारों ने एक से बढ़कर एक लोकनृत्य प्रस्तुत किया. बारी-बारी से गोटिपुआ, छांगु, फिरकाल जैसे लोकनृत्य प्रस्तुत किए गए. गोटिपुआ नृत्य भगवान की अराधना के लिए करते हैं. इसी तरह छांगू सबरों का नृत्य है. ओडिशा के लगभग सभी क्षेत्रीय आदिवासी समुदायों द्वारा यह नृत्य किया जाता है. खेती बाड़ी से थके मांदे लोग अपनी इस गीत के माध्यम से थकान मिटाते हैं. इसी तरह फिरकाल नृत्य कला को भी पेश किया गया, जिसे लोगों ने खूब पसंद किया. यह नृत्य मकर संक्रांति के अगले दिन भूमिज जनजातीय द्वारा नृत्य किया जाता है. उक्त नृत्य अपने ईष्टदेव की पूजा कर आशीर्वाद लेने के लिए भूमिज जनजातीय के लोग करते हैं. कार्यक्रम को सफल बनाने में कला मंदिर के अमिताभ घोष और अन्य का सराहनीय योगदान रहा. https://lagatar.in/wp-content/uploads/2021/12/BISHTUPUR-G-TOWN-33-264x300.jpg"

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