Ranchi: केंद्रीय सरना समिति और अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद के प्रतिनिधिमंडल ने आज पहान सम्मेलन की तैयारी को लेकर रांची विश्वविद्यालय के दीक्षांत मंडप स्थल का निरीक्षण किया. पहान सम्मेलन रविवार को होगा.
इस संबंध में केंद्रीय सरना समिति के अध्यक्ष फूलचंद तिर्की ने कहा कि वर्त्तमान में आदिवासियों की रूढ़िवादी पारंपरिक संस्कृति पर खतरा मंडराता नजर आ रहा है. पहान, पनभोरा, मुंडा, महतो, मांझी, परगनईत के मान सम्मान में कमी आयी है. आदिवासियों की परंपरा संस्कृति को सुदृढ़ करने में पहान पुजार का आदिवासी समाज में काफी योगदान होता हैं.
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संस्कृति नष्ट होने से समाप्त हो जायेंगे आदिवासी
पहान पुजार के निष्क्रिय रहने के कारण प्रार्थना सभा हावी हो गयी है. इसके कारण आदिवासियों की मूल पारंपरिक संस्कृति से छेड़छाड़ हो रही है. और समाज अपने मूल रूढ़िवादी परंपरा संस्कृति से भटक रहा है. यदि पारंपरिक संस्कृति नष्ट हो जायेगी तो खुद आदिवासी ही समाप्त हो जायेगा. जिसका फायदा दूसरे लोग उठा सकते हैं. इसलिए केंद्रीय सरना समिति पूर्व घोषित कार्यक्रम के तहत 14 मार्च को मोरहाबादी के दीक्षांत मंडप में पहान सम्मेलन का आयोजन किया है. अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद के अध्यक्ष सत्यनारायण लकड़ा ने कहा पहान सम्मेलन पूरे राज्य में चरण बद्ध तरीके से कराया जायेगा. ताकि आदिवासी के धर्म संस्कृति बची रहे.
आदिवासियों के धर्म संस्कृति पर चारों तरफ से हो रहा है हमला
केंद्रीय सरना समिति के महासचिव संजय तिर्की ने कहा कि आज आदिवासियों के धर्म संस्कृति पर चारों तरफ से हमला किया जा रहा है. आरएसएस और भाजपा के लोग आदिवासियों को हिंदूकरण कर रहे हैं. केंद्रीय सरना समिति सरना कोड की लड़ाई लगातार कर रही हैं. ताकि 2021 की जनगणना में आदिवासियों को उनकी पहचान मिल सके.
इस मौके पर केंद्रीय सरना समिति के संरक्षक ललित कच्छप, भुनेश्वर लोहरा, महासचिव संजय तिर्की, निर्मल पहान, सहाय तिर्की, फागु उरांव, विकास बडाईक समेत अन्य शामिल थे.
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