गांव में नहीं है चापाकल
Dumka: राज्य में पहाड़िया जनजाति विलुप्ति के कगार पर है. इसके विकास के लिए कई योजनाएं भी चलायी जाती हैं, लेकिन लाभ उन तक नहीं पहुंच पाता है. राज्य गठन के बाद सुधार की आस जगी थी, लेकिन स्थिति में कुछ खास परिवर्तन नहीं नजर आ रहा है. यही स्थिति उपराजधानी दुमका पहाड़िया गांव अमलागढ़ी का है.
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दुमका से महज 8 किलोमीटर दूर स्थित आदिम जनजाति पहाड़िया का यह गांव आज भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित है. ग्रामीणों को शुद्ध पेयजल नही मिल पा रहा है. स्थिति यह है कि ग्रामीण गड्ढे, तलाब और कच्चे कूएं का पानी पीने को विवश हैं. बताया जाता है कि इस इलाके में टाइफाइड और जौंडिस जैसी बीमारी फैलती रहती है.
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गांव में नहीं है पक्की सड़क
बता दें कि हाल में भी कुछ लोगों को टायफाइड हुआ था. इन सब बीमारियों का सीधा संबंध पेयजल से है. पक्की सड़क भी नहीं है. इससे बोरिंग की गाड़ी भी वहां नहीं जा पाती है. इस वजह से चापाकल भी गांव में अभी तक नही लगा है. ग्रामीणों का कहना है कि जब चुनाव होता है तो नेता आते हैं. उसके बाद फिर कभी दिखाई नहीं देते हैं. जाहिर है ऐसे में विलुप्ति की ओर बढ़ रहे इन पहाड़िया लोगों को बचाने की जरूरत है.
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