Washington : अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने काबुल हवाई अड्डे पर हुए विस्फोटों में मारे गये अमेरिकी सेवा के सदस्यों के परिवारों के प्रति शोक प्रकट करते हुए कहा कि इस हमले को कभी नहीं होने देना चाहिए था और अगर मैं आपका राष्ट्रपति होता तो यह हमला कभी नहीं होता.कहा कि मेलानिया और मैं हमारे शानदार सर्विस मेम्बर्स के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त करते हैं, जिनकी अमेरिका के प्रति ड्यूटी उनके लिए बहुत मायने रखती थी.
ट्रंप ने कहा, हमारी संवेदनाएं उन निर्दोष नागरिकों के परिवारों के साथ भी हैं जो आज काबुल हमले में मारे गये. इस त्रासदी को कभी नहीं होने देना चाहिए था, यह हमारे दुख को और गहरा बनाता है. अगर मैं आपका राष्ट्रपति होता तो यह हमला कभी नहीं होता. भगवान अमेरिका का भला करे.
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तालिबान पाकिस्तान को अस्थिर न कर दे
अफगानिस्तान के राजनीतिक समीकरण बदलते ही पड़ोसी देश पाकिस्तान के परमाणु हथियार आतंकियों के हाथ लग जाने के अंदेशे से दुनिया दुबली हो रही है. खबर है कि अमेरिकी सांसदों के एक समूह ने राष्ट्रपति जो बाइडेन से यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया है कि कहीं तालिबान पाकिस्तान को अस्थिर न कर दे और परमाणु हथियार हासिल न कर ले. जानकारी के अनुसार सीनेट और प्रतिनिधि सभा के 68 सांसदों ने बुधवार को जो बाइडेन को लिखे पत्र में पूछा है कि तालिबान पड़ोसी देशों की सीमा पर अपने लड़ाकों की तैनाती बढ़ा रहा है.
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दो सप्ताह में दुनिया ने काफी बर्बरता देखी है
इसके मद्देनजर क्या आप क्षेत्रीय सहयोगियों का सैन्य रूप से समर्थन करने के लिए तैयार हैं? एक न्यूज एजेंसी के अनुसार पत्र में अमेरिकी सांसदों ने बाइडेन से पूछा है कि क्या आपके पास यह सुनिश्चित करने की कोई योजना है कि तालिबान के कब्जे में अफगानिस्तान कभी भी परमाणु हथियार हासिल नहीं करेगा?
अमेरिकी सांसदों ने कहा है कि तालिबान के अफगानिस्तान पर तेजी से कब्जा करने कारण पिछले दो सप्ताह में दुनिया ने काफी बर्बरता देखी है. यह अफगानिस्तान से हमारे मुख्य सैन्य बल के बचे हुए छोटे से हिस्से को पूरी तरह से वापस लाने और अमेरिकी कर्मचारियों और उनके अफगान सहयोगियों को निकालने में अनावश्यक रूप से देर करने का नतीजा है.
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चीन तालिबान के साथ संबंध बढ़ा रहा है.
कहा कि तालिबान के शासन में अफगानिस्तान में हालात तेजी से बेपटरी हो रहे हैं. अफगान महिलाओं और लड़कियों पर अत्याचार हो रहे हैं, सिविल सोसाइटी का दमन हो रहा है, अनगिनत अफगान लोगों को घर छोड़ना पड़ रहा है, जिन्हें तालिबान अफगानिस्तान से निकलने से रोकने के लिए बल का इस्तेमाल भी कर रहा है.
वहीं, चीन मौजूदा स्थिति का फायदा उठाने के लिए तालिबान के साथ संबंध बढ़ा रहा है. सांसदों ने बाइडेन से यह भी पूछा कि उन सैन्य साजो समान को वापस हासिल करने के लिए आपकी क्या योजना है, जिनको पहले ही तालिबान अपने कब्जे में ले चुका है?
रूस ने 150 मानव-पोर्टेबल मिसाइलों को लेकर चिंता जताई है
रूस ने भी तालिबान के कब्जे में जा चुके अमेरिकी हथियारों पर चिंता जाहिर की है. रूस ने विशेष रूप से करीब 150 मानव-पोर्टेबल मिसाइलों को लेकर चिंता जताई है जो विमान को नीचे गिरा सकती हैं. आशंका जताई जा रही है कि इनमें से कुछ मिसाइलें तालिबान के अलावा अन्य आतंकवादी गुटों के पास भी हो सकती हैं.
रूस की फेडरल सर्विस ऑफ मिल्रिटी एंड टेक्निकल को-ऑपरेशन के निदेशक दिमित्री शुगेव ने कहा, अमेरिकी सेना ने अफगानिस्तान में 150 से अधिक मिसाइलें छोड़ दी गयी हैं. पता नहीं कि ये मिसाइलें किसके पास हैं. वे तालिबान या किसी अन्य आतंकी गुट के हाथों में हो सकती हैं, जो यूरोप, अमेरिका या भारत सहित दुनिया के किसी भी हिस्से में उनका इस्तेमाल कर सकते हैं