Pakur : सरकार का काम-काज अपनी गति से चलता है. आप लाख कोशिश कर लें, अधिकारी वही करेंगे जो उनकी इच्छा होगी. साहिबगंज- गोविंदपुर पथ चौड़ीकरण के लिए सरकार ने 2014 में भूमि का अधिग्रहण किया था. इसमें पाकुड़ जिला के अमरापाड़ा प्रखंड क्षेत्र के छोटा पहाड़पुर गांव निवासी गणेश मंडल का घर और व्यापार दोनों सड़क चौड़ीकण में चला गया. 2014 में पहले खपरैल मकान का अधिग्रहण किया गाया. इसके बाद 2015 में पथ चौड़ीकरण के लिए तीन कमरो का मकान, रसोईघर, शौचालय सहित 5 कट्ठा जमीन अधिग्रहण की गई. इसके मुआवजा के रूप में गणेश मंडल को 2014 में 1 लाख 25 हजार रुपये और सरकारी दफ्तरो में अर्जी देते रहने के बाद 4 लाख 61 हजार रुपये दिये गये.
गणेश मंडल ने 12 लाख मुआवजा का पेश किया था दावा
गणेश मंडल ने मुआवजा प्राप्त करने के पूर्व भू-अर्जन पदाधिकारी को आवेदन देकर मकान- जमीन की बावत 12 लाख मुआवजा राशि दिये जाने का दावा पेश किया था. लेकिन 6 साल बाद भी गणेश को उचित मुआवजा का भुगतान नहीं किया गया है. मुआवजा पाने के लिए उन्होंने शासन प्रशासन से लेकर मंत्री, नेता के यहां दौड़ लगा रहे हैं.
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2015 में तत्कालीन मुख्यमंत्री को पत्र लिखा था
उचित मुआवजा के लिए गणेश मंडल ने 2015 में तत्कालीन मुख्यमंत्री को पत्र लिखा था. इसके बाद उप सचिव सह प्रभारी पदाधिकारी जन शिकायत कोषांग झारखंड सरकार रांची द्वारा अधिग्रहित मकान के मुआवजा भुगतान के संबंध में 29 अक्टूबर 2015 को संथाल परगना प्रमंडल के आयुक्त को आदेश दिया गया था. इस बीच आयुक्त कार्यालय से 5 वर्ष बाद 20 अक्टूबर 2020 को आवश्यक कार्रवाई हेतु निर्देश दिए गए थे. लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई. अब तक सैकड़ों बार गणेश दफ्तरों का चक्कर लगा चुका है.
आलमगीर आलम भी उपायुक्त को पत्र लिख चुके हैं
7 जुलाई 2021 को आयुक्त को फिर आवेदन देकर न्याय की गुहार लगाई, लेकिन अभी तक इस मामले में कुछ नहीं हुआ. इस मामले में मैजूदा सरकार के मंत्री आलमगीर आलम भी उपायुक्त को पत्र लिख चुके हैं. वहीं झामुमो विधायक सीता सोरेन ने भी ट्वीट कर उपायुक्त से मुआवजे के भुगतान की बात कही है, लेकिन आज तक मुआवजा राशि का भुगतान नहीं हो सका.
क्या कहते हैं भुक्तभोगी
गणेश मंडल ने कहा कि जमाबंदी नंबर 13, दाग नंबर 372 में मेरा मकान था, जहां मेरा घर और व्यापार दोनों का अधिग्रहण कर लिया गया. घर में ही मौजूद जीवन यापन का एकमात्र जरिया अनाज क्रय केंद्र बंद हो गया. सरकार ने मुआवजा राशि की बाबत कोई पहल नहीं की. भूमि अधिग्रहण नियमावली बनी है, लेकिन सरकारी तंत्र के उदासीन रवैए के वजह से नियम- कानून पालन नहीं हो रहा है. सरकार और प्रशासन में बैठे लोग आम जनों के अधिकार के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं.
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