रेलखंड पर पार्सल यान का कपलिंग टूटा, परिचालन बाधित
इसके पीछे के कारणों को जानने की कोशिश
इसके पीछे के कारणों को शुभम संदेश की टीम ने जानने की कोशिश की. पिछले 2 सालों में सड़क दुर्घटना, गोली लगे लोगों और गंभीर बीमारियों के मरीजों का कितना इलाज हुआ और कितने को रेफर किया गया है. इस बाबत जानकारी इकट्ठा की गई. एमएमसीएच अस्पताल में आधुनिक उपकरणों से लैस ऑपरेशन थिएटर होने के बावजूद यहां के डॉक्टर्स रिस्क नहीं लेना चाहते हैं. यही कारण है कि आज गंभीर मरीज या गोली लगे मरीजों को तुरंत रांची रिम्स रेफर कर दिया जाता है. ऐसे कई मरीजों की रास्ते में ही मौत हो जाती है. एमएमसीएच अस्पताल से हर दिन लगभग 20 से ज्यादा मरीजों को रिम्स रेफर कर दिया जाता है. ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि गोली लगने या दुर्घटना के बाद पलामू प्रमंडल के लोगों की जान भगवान भरोसे ही है.alt="" width="600" height="320" />
मरीज के परिजन भी करते हैं हंगामा
कुछ डॉक्टरों का कहना है कि राजनीतिक दबाव और डॉक्टरों की कमी के कारण गंभीर लोगों को रिम्स रेफर कर दिया जाता है. कभी-कभी तो मरीजों के परिजन अस्पताल में पहुंचकर हंगामा भी करने लगते हैं और डॉक्टरों के साथ मारपीट भी करते हैं. यही कारण है कि कोई डॉक्टर रिक्स लेना नहीं चाहता. इसे भी पढ़ें :चाईबासा">https://lagatar.in/chaibasa-citys-boxers-perform-well-in-jharkhand-state-boxing-championship/">चाईबासा: झारखंड स्टेट बॉक्सिंग चैंपियनशिप में शहर के बॉक्सरों ने किया उम्दा प्रदर्शन
22 गोली लगे लोगों को लाया गया अस्पताल
वर्ष 2022 और 2023 में 22 गोली लगे मरीजों को एमएनसीएस अस्पताल में इलाज के लिए लाया गया. इसमें 6 व्यक्तियों का सफल इलाज किया गया. जिसमें दो व्यक्ति की मौत हो गई थीं वही 13 गोली लगे व्यक्तियों को रांची रिम्स रेफर कर दिया गया था. अस्पताल में इलाज कराने के दौरान मरीज को परिजन भी बिन बताए मरीज को लेकर चले गये.दुर्घटना के शिकार लोगों में 500 को किया गया रिम्स रेफर
वर्ष 2022 और 2023 में करीब 2100 मरीज अस्पताल में इलाज कराने के लिए पहुंचे थे, जिसमें 900 के करीब मरीजों को सफल इलाज किया गया. 65 से अधिक मरीजों की इलाज के दौरान मौत हो गई. वहीं 500 से अधिक लोगों को रांची रिम्स रेफर कर दिया गया. जबकि 476 के करीब लोग इलाज के दौरान भाग गए.alt="" width="600" height="400" />
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