Sanjeet Yadav
Palamu : पलामू पुलिस आये दिन नशा कारोबारियों पर शिकंजा कसती रहती है. बीते दो वर्षों में एसपी रिष्मा रमेशन के नेतृत्व में पुलिस ने अफीम की अवैध खेती करने वालों के अरमानों को ट्रैक्टर से कुचलने का काम किया है. इस दौरान पुलिस ने 584 एकड़ में लगी अफीम की खेती को नष्ट किया है.
पुलिस ने 2023-2024 में 177.435 एकड़ में फैले अफीम के खेतों को नष्ट किया है. वहीं 2024-2025 में 406.25 एकड़ में लगे अफीम की फसलों को बर्बाद किया है. इस दौरान पलामू पुलिस ने आठ से अधिक लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेजने का भी काम किया है. 20 से अधिक ड्रोन कैमरों की सहायाता से पुलिस ने यह कार्रवाई की है.
पहली बार पलामू के इतिहास में इसे इतनी बड़ी कार्रवाई माना जा रहा है. जानकारी के अनुसार, प्रति एकड़ में चार किलो अफीम का उत्पादन होता है. ऐसे में इस कार्रवाई से करीब 2300 किलो अफीम को तैयार होने से पहले ही जमींदोज कर दिया गया है.
एनडीपीएस 1985 की धारा 47 के तहत-अवैध खेती की सूचना देने की जिम्मेदारी इनकी
अफीम की खेती को रोकने की जिम्मेवारी जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों की है. जानकारी के अनुसार, एनडीपीएस 1985 की धारा 47 के तहत लोकल स्तर के मुखिया, सरपंच और पदाधिकारियों को इसकी सूचना पुलिस को देनी है. अगर वो सूचना नहीं देते हैं तो वह दंड के भागी होंगे. उन जनप्रतिनिधियों के खिलाफ भी कार्रवाई की जा सकती है.
नशा कारोबार के नेटवर्क को ध्वस्त करने में लगी है पुलिस : पलामू एसपी
पलामू एसपी रिष्मा रमेशन ने बताया कि एनडीपीएस 47 एक्ट के तहत जिले में कई लोकल स्तर के जनप्रतिनिधियों को पुलिस को सूचना देने के लिए नोटिस किया गया है. अगर किसी इलाके में अफीम की खेती होती है और उसका इलाके का जनप्रतिनिधि पुलिस को सूचना नहीं देता है तो उनके खिलाफ भी कार्रवाई की जायेगी. एसपी ने बताया कि जिले में 2 सालों में कई एकड़ में लगी अफीम की खेती नष्ट की गयी है. पुलिस की यह कार्रवाई आगे भी जारी रहेगी. पुलिस नशा कारोबार के नेटवर्क को ध्वस्त करने में लगी है. यह अभियान तब तक जारी, जब तक इसे पूरी तह समाप्त नहीं किया जाता.
बीते 10 वर्षों में बढ़ा है अफीम का कारोबार
बता दें कि पिछले 10 वर्षों में पलामू के मनातू, पांकी, नौडीहा बाजार और छतरपुर इलाके के कुछ लोग अफीम का सबसे बड़ा सप्लायर बनकर उभरे हैं. नक्सल प्रभावित क्षेत्र होने के कारण सुदूर गावों में प्रशासन की आवाजाही कम ही रहती थी. ऐसे में वन भूमि को साफ कर नशा कारोबारी अफीम की खेती करवाते हैं. लेकिन पलामू एसपी ने नशा कारोबारियों पर शिकंजा कसने काम किया है.
अफीम की उपलब्धता में कमी आने से कीमतों में हुई है वृद्धि
नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के अनुसार, झारखंड में नष्ट की गई अफीम की बड़ी मात्रा ने ग्रे मार्केट में इसकी कीमतों में 30 से 40 प्रतिशत तक वृद्धि कर दी है. पिछले साल 3 लाख रुपये प्रति किलो बिकने वाला अफीम अब बढ़कर 5 लाख रुपये प्रति किलो तक पहुंच गया है. इस वृद्धि का मुख्य कारण नशा कारोबारियों के लिए अफीम की उपलब्धता में कमी आना है, जिससे अवैध व्यापारियों के लिए मुश्किलें बढ़ रही हैं.