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कैंसर नियंत्रण में पंचगव्य चिकित्सा पद्धति भी प्रभावी : डॉ निरंजन वर्मा

तंबाकू, गुटखा, शराब, अधिक कीटनाशक युक्त अनाज, सब्जी के सेवन तथा शरीर में ऑक्सीजन की उपलब्धता कम होने से कैंसर की संभावना बढ़ती है. ठोस आहार, तरल और श्वसन के माध्यम से शरीर में ऑक्सीजन का स्तर बढ़ाने का प्रयास करना चाहिए.
Ranchi : बिरसा कृषि विश्वविद्यालय में पंचगव्य चिकित्सकों का दो दिवसीय सम्मेलन गुरुवार को संपन्न हो गया. मुख्य वक्ता पंचगव्य विद्यापीठम्, कांचीपुरम (तमिलनाडु) के कुलपति डॉ निरंजन भाई वर्मा ने आहार प्रबंधन और पंचगव्य के माध्यम से कैंसर रोग के नियंत्रण और ईलाज के बारे बताया. कहा कि कैंसर नियंत्रण में पंचगव्य चिकित्सा भी प्रभावी साबित हो रही है. उन्होंने कहा कि तंबाकू, गुटखा, शराब, अधिक कीटनाशक युक्त अनाज, सब्जी के सेवन तथा शरीर में ऑक्सीजन की उपलब्धता कम होने से कैंसर की संभावना बढ़ती है. ठोस आहार, तरल और श्वसन के माध्यम से शरीर में ऑक्सीजन का स्तर बढ़ाने का प्रयास करना चाहिए.

अनपॉलिश्ड राइस, ब्राउन राइस और रेड राइस लाभकारी

डॉ वर्मा ने कहा कि कैंसर का इलाज 40% भोजन पर, 40% औषधि पर और 20% चरित्र और आचरण पर निर्भर करता है. कैंसर के रोगी को कैंसर सेल्स का प्रिय भोजन- खट्टी वस्तु, तीखी वस्तु, मीठी चीजें तथा गाय का घी सहित सभी चिकनाई (वसा) वस्तु बंद कर देना चाहिए. इससे रोग नहीं बढ़ेगा. खट्टी वस्तु में आंवला और तीखी चीजों में काली मिर्च अपवाद है. अनपॉलिश्ड राइस, ब्राउन राइस और रेड राइस लाभकारी है, जबकि गेहूं और गेहूं उत्पाद बंद कर देना चाहिए. तवा और सीधे आग पर पकनेवाली चीजें नुकसानदेह है, क्योंकि उसमें कार्बन कंटेंट बढ़ जाता है. इसे भी पढ़ें – जल्‍द">https://lagatar.in/jhiris-appearance-will-change-soon-biogas-will-be-made-from-waste-cm-had-said-this/">जल्‍द

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कैंसर में गोमूत्र और हल्दी का काढ़ा विशेष लाभकारी

पानी में उबला या वाष्प से पका आहार रोगी को देना चाहिए, क्योंकि इसमें कार्बन की मात्रा नगण्य रहती है. दाल में केवल मूंग और कुल्थी तथा सब्जी में लटकने वाली हरे रंग की सभी सब्जी दी जा सकती है. भिंडी और हरे रंग की सभी साग दे सकते हैं. फल में केवल अनार और सीताफल तथा कुछ हद तक अमरूद भी दे सकते हैं. कोई भी गरम मसाला नहीं देना चाहिए. हल्दी का प्रयोग दो-तीन गुना बढ़ा देना चाहिए. कैंसर रोगी के लिए कच्ची हल्दी विशेष गुणकारी है, इसलिए उसकी सलाद दी जा सकती है. गोमूत्र और हल्दी का काढ़ा विशेष लाभकारी होगा. गोमूत्र के साथ बना कचनार, तुलसी, सदाबहार, पुनर्नवा और सर्पगंधा का अर्क और क्षार (घनवटी) रोग नियंत्रण में प्रभावी है. इसे भी पढ़ें –आपातकाल">https://lagatar.in/bjp-will-celebrate-the-anniversary-of-emergency-as-black-day-a-seminar-in-every-district-on-june-25/">आपातकाल

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अमृत कृषि पद्धति अपनाने पर जोर

सम्मेलन के आयोजन सचिव और बीपीडी-बीएयू सोसाइटी के सीईओ सिद्धार्थ जायसवाल ने अनाज, फल और सब्जी में पोषक तत्वों की मात्रा बढ़ाने के लिए अमृत कृषि पद्धति अपनाने पर जोर दिया तथा अमृत जल और अमृत मिट्टी बनाने की तकनीक बतायी. सम्मेलन में बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़, ओड़िशा और तमिलनाडु के पंचगव्य चिकित्सकों ने भाग लिया. डॉ निरंजन भाई वर्मा, पशु चिकित्सा संकाय के अधिष्ठाता डॉ सुशील प्रसाद, प्रशासनिक सेवा के अधिकारी रंजीत कुमार सिन्हा तथा झारखंड प्रदेश पंचगव्य डॉक्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष मदन सिंह कुशवाहा ने अच्छी चिकित्सा, जैविक खेती, गोशाला संचालन, चिकित्सालय प्रबंधन पर चर्चा की.

चिकित्सा व्यवस्था से संबंधित अनुभव शेयर किए

सम्मेलन में सक्रिय योगदान के लिए प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र, अंग वस्त्र और प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित किया गया. इसके पूर्व विभिन्न राज्यों से आए हुए प्रतिभागियों ने गोमय, गोमूत्र, दूध, दही, घी और वानस्पतिक औषधि पर आधारित अपनी चिकित्सा व्यवस्था से संबंधित अनुभव शेयर किए. इसे भी पढ़ें – रांची">https://lagatar.in/ranchi-unique-initiative-of-ntpc-now-safety-reflective-jacket-with-led-lights-for-coal-mining/">रांची

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