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महामारी ने केंद्र सरकार की नाकामियों की खोली पोल, जन आंदोलन ही एकमात्र विकल्प: दीपांकर

Ranchi: कोरोना महामारी ने केंद्र सरकार की नाकामियों की पोल खोल दी है. बात चाहे सार्वजनिक स्वास्थ्य व्यवस्था की हो, बेरोजगारी दर का बढ़ना या आर्थिक विकास हो. जनता अब केंद्र सरकार की गलत बयानों को समझने लगी है. ऐसे में जरूरी है कि जनता एकजुट होकर जन आंदोलन करे. उक्त बातें भाकपा माले के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने कहीं. दीपांकर बुधवार को राज्य भाकपा माले की ओर से आयोजित वेबिनार को संबोधित कर रहे थे. वेबिनार का आयोजन बिरसा मुंडा की शहादत दिवस पर किया गया था. जहां महामारी और तानाशाही से जूझता भारत विषय पर चर्चा की गई. दीपांकर ने कहा कि देश के हालात गंभीर हैं. केंद्र सरकार अपनी जिम्मेदारियों से पीछे हटते हुए राज्यों पर दबाव बना रही है. वैक्सीन डिस्ट्रीब्यूशन मामले में ऐसा देखा गया है. जबकि केंद्र को चाहिये था कि वो इन विषयों से ऊपर उठ वैक्सीन डिस्ट्रीब्यूशन सुनिश्चित करे. जिससे राज्यों को वैक्सीन मिल सके. इसे भी पढ़ें-सीएम">https://lagatar.in/complaint-to-ed-for-investigation-of-assets-of-mla-representative-of-cm-pankaj-mishra-all-facts-provided-in-the-application/85393/">सीएम

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जन आंदोलन ही एकमात्र विकल्प

भट्टाचार्य ने कहा कि ऐसे समय में जरूरी है कि सरकार राहत पैकेज की घोषणा करे. जिससे लोगों को आर्थिक संकट से उबरने में मदद मिले. महामारी जैसे समय में भी केंद्र सरकार लूट मचायेहुए है. केंद्र अपने चुनिंदा लोगों को लाभ दिलाने के लिये फैसले ले रही है. उन्होंने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्रों को बेचा जा रहा है. किसानों के कानूनों को बदलाव किया गया, सार्वजनिक स्वास्थ्य जैसे मुद्दों को पोल खुल गयी है, ऐसे में जरूरी है कि जनता एक जुट हो. सुनियोजित जन आंदोलन ही केंद्र सरकार के जन विरोधी नीतियों को वापस लेने पर दबाव बना सकती है. इस मौके पर पूर्व विधायक अरूप चटर्जी ने कहा कि केंद्र सरकार का रवैया जनहित के मुद्दों पर उदासी न है. जन विरोधी फैसले सरकार ले लेती है, लेकिन जनहित में निर्णय वापस नहीं होते. [wpse_comments_template]

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