Ranchi : रांची ED कोर्ट के एक आदेश को चुनौती देने के लिए झारखंड हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई है. मुख्यमंत्री के विधायक प्रतिनिधि पंकज मिश्रा ने ईडी के सहायक निदेशक सह जांच अधिकारी देवव्रत झा के खिलाफ आईपीसी की धारा 147, 149, 341, 342, 323, 379, 504, 506, 120 बी के तहत अभियोजन शिकायत दर्ज की थी. उन्होंने अपनी याचिका में तथ्यों को दबाने का आरोप लगाया था. साथ ही कहा था कि उन्हें गलत आधार पर फंसाया जा रहा है. लेकिन 27 जनवरी को प्रभात कुमार शर्मा की विशेष पीएमएलए अदालत ने झा के खिलाफ उनकी याचिका खारिज कर दी.
जिसके खिलाफ पंकज मिश्रा ने झारखंड हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. पीएमएलए अदालत ने पाया कि देवद्रत झा ने इस मामले के किसी भी तथ्य को नहीं छुपाया और पीएमएलए अधिनियम के प्रावधानों के तहत जांच की जा रही है. ईडी ईसीआईआर के आधार पर अवैध खनन और बरहरवा टोल प्लाजा मामले की जांच कर रही है.
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जून 2020 में दर्ज कराया गया था मामला
इस मामले की प्राथमिकी जून 2020 में साहिबगंज जिले के बरहरवा पुलिस स्टेशन में पाकुड़ के व्यवसायी शंभू नंदन कुमार ने दर्ज कराई थी. उन्होंने मामले के आरोपियों में राज्य के मंत्री आलमगीर आलम और पंकज मिश्रा का नाम लिया था. 20 जून 2020 को बरहरवा रोड पर टोल टैक्स वसूली के लिए नीलामी हुई थी. आरोपों के मुताबिक मंत्री आलमगीर आलम दूसरी कंपनी के पक्ष में नीलामी चाहते थे. पंकज मिश्रा ने कथित तौर पर मंत्री के मोबाइल फोन से शंभु नंदन को फोन किया और बात न मानने पर गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी दी. लेकिन जैसे ही उसने हटने से इनकार किया और किसी तरह नीलामी में भाग लिया, उसके साथ मारपीट की गई. शंभू नंदन कुमार ने 21 जून को आलमगीर आलम, पंकज मिश्रा व अन्य के खिलाफ बरहरवा थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई थी.पंकज मिश्रा ने दावा किया कि पुलिस ने मामले से उनका नाम हटा दिया क्योंकि उनकी संलिप्तता का कोई सबूत नहीं मिला. चार्जशीट में उनके नाम का जिक्र नहीं था. ईडी ने आरोप का प्रतिवाद किया और कहा कि उसने प्राथमिकी में उल्लेखित तथ्यों को रखा और कहा कि आरोप पत्र प्रस्तुत किया गया था. इसने कभी नहीं कहा कि चार्जशीट में पंकज मिश्रा के नाम का उल्लेख है. ईडी के मुताबिक मनी लॉन्ड्रिंग एक अलग अपराध है.
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