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तृणमूल नेता की अध्यक्षता वाली संसदीय स्टैंडिंग कमेटी ने कहा, तीनों कृषि कानूनों में से एक को लागू करे सरकार

NewDelhi : कृषि कानूनों के विरोध में विपक्षी की ज्यादातर पार्टियां भले ही किसान आंदोलन के साथ खड़े होने की बात कह रही हों और तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग उठाती रही हों, मगर वास्तविकता कुछ और ही नजर आती है. बता दें कि संसद की एक स्थायी समिति, जिसमें भाजपा, कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, आप, राकांपा और शिवसेना के सांसद शामिल हैं, सरकार से कहा है कि तीनों कृषि कानूनों में से वह एक को भाषा और भाव में लागू करे. जान लें कि संसद में खाद्य, उपभोक्ता मामले और सार्वजनिक वितरण मामलों की स्थायी समिति  के अध्यक्ष टीएमसी नेता सुदीप बंदोपाध्याय हैं. बताया गया कि स्थायी समिति की रिपोर्ट शुक्रवार को ही लोकसभा में पेश की गयी. इसे भी पढ़ें : अशोका">https://lagatar.in/ashoka-university-controversy-150-intellectual-scholars-including-academicians-from-harvard-yale-oxford-came-in-support-of-pb-mehta/39848/">अशोका

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कानून के जरिए कृषि क्षेत्र में बढ़े हुए निवेश तैयार करने में मदद मिलेगी

इसमें कहा गया है कि समिति उम्मीद करती है कि हाल ही में लागू किया गया आवश्यक वस्तु (संशोधन) कानून 2020, देश के कृषि क्षेत्र में अनछुए संसाधनों को खोलने में मददगार साबित होगा. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि इस कानून के जरिए कृषि क्षेत्र में बढ़े हुए निवेश तैयार करने में मदद मिलेगी, जिससे कृषि मार्केटिंग में न्यायपूर्ण और उत्पादक प्रतियोगिता होगी और किसानों की कमाई में इजाफा होगा. कमेटी ने इन फायदों को गिनाते हुए सरकार को आवश्यक वस्तु (संशोधन) कानून 2020 लागू करने का प्रस्ताव दिया है. पैनल का कहना है कि सरकार को बिना किसी रुकावट के इसे लागू करना चाहिए, ताकि किसानों और कृषि क्षेत्र से जुड़े अन्य स्टेकहोल्डरों को इस कानून में बताए गए फायदे जल्द से जल्द मिल सकें. इसे भी पढ़ें : सुप्रीम">https://lagatar.in/supreme-court-question-how-many-generations-reservation-will-continue-what-does-equality-mean-when-there-is-no-50-percent-limit/39832/">सुप्रीम

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बंपर फसलें आने के बावजूद किसानों को होता है नुकसान

सदीय पैनल की इस रिपोर्ट में कहा गया है कि जहां देश में अधिकतर कृषि उत्पादों की अतिरिक्त पैदावार होने लगी है, वहीं किसानों को अभी भी कोल्ड स्टोरेज, वेयरहाउसेज, और एक्सपोर्ट सुविधाओं में खराब निवेश के चलते अपनी फसल के बेहतर दाम पाने में मुश्किल होती है. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि आवश्यक वस्तु कानून 1955 में किसानों के लिए प्रोसेसिंग और एक्सपोर्ट की सुविधा को बढ़ावा नहीं दिया जाता था, जिससे बंपर फसलें आने के बावजूद किसानों को बड़े नुकसान उठाने पड़ते हैं. इसे भी पढ़ें :  पश्चिम">https://lagatar.in/election-commission-meeting-in-delhi-on-west-bengal-violence-today-visit-to-bengal-on-23rd/39826/">पश्चिम

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कमेटी में कौन-कौन सी पार्टियां शामिल

जिस कमेटी ने यह रिपोर्ट निकाली है, उसमें संसद के दोनों सदनों से 13 पार्टियों के सांसद शामिल हैं. इनमें आम आदमी पार्टी, भाजपा, कांग्रेस, द्रमुक, जदयू, नागा पीपुल्स फ्रंट, राकांपा, नेशनल कॉन्फ्रेंस, पीएमके, शिवसेना, सपा, तृणमूल कांग्रेस और वाईएसआर कांग्रेस के सांसद शामिल हैं. इसके अलावा एक नामित सदस्य भी कमेटी का हिस्सा हैं. अहम खाद्य पदार्थों की कीमत पर नजर रखे सरकार: कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में आगे कहा, आलू, प्याज और दाल जैसी चीजें लोगों की रोजाना डाइट का हिस्सा हैं और लाखों लोग जिन्हें पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम का फायदा नहीं मिलता, उन्हें नये कानून के लागू होने के बाद बुरा प्रभाव पड़ सकता है. इसलिए सरकार को सभी अहम वस्तुओं की कीमतों पर करीब से नजर रखनी चाहिए और कानून में मौजूद प्रावधानों को जरूरत पड़ने पर इस्तेमाल करना चाहिए. बताया गया कि कमेटी के अध्यक्ष संदीप बंदोपाध्याय कुछ कारणों से समिति की आखिरी मीटिंग में शामिल नहीं हो पाये थे. इस कारण कमेटी ने इस रिपोर्ट को भाजपा के अजय मिश्र तेनी की कार्यकारी अध्यक्षता में स्वीकार किया.

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