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संसद की स्थायी समिति ने सरकार से आठ मार्च को कहा था, वैक्सीन के उत्पादन में तेजी लायें

देश के वयस्क नागरिकों का टीकाकरण करने के लिए भारत को 190 करोड़ डोज की जरूरत है.

NewDelhi : खबर है कि संसदीय स्थायी समिति ने आठ मार्च को मोदी सरकार को वैक्सीन का उत्पादन तेज करने का आग्रह किया था. ताकि देश की बड़ी आबादी को जल्द से जल्द वैक्सीन लगायी जा सके. विज्ञान व तकनीक, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन आदि विषयों पर बनी 31 सदस्य समिति की अध्यक्षता वरिष्ठ कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने की थी. समिति ने आठ मार्च को अपनी  रिपोर्ट में यह बात कही थी.  

बता दें कि समिति में 14 सदस्य सत्ताधारी भाजपा के हैं. जयराम रमेश ने अफसोस जताते हुए कहा कि सिफारिश के बावजूद  केंद्र सरकार ने वैक्सीन उत्पादन क्षमता नहीं बढ़ाई  कहा कि  आज देश टीके की भारी कमी से जूझ रहा है. हालांकि समिति के सदस्य व झांसी से भाजपा सांसद अनुराग शर्मा ने दावा किया कि केंद्र सरकार ने भारत बायोटेक और सिरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया को ज्यादा फंड जारी किया है.  

केंद्र सरकार से कहा था कि मौजूदा उत्पादन नाकाफी होगा

समिति की रिपोर्ट में कहा गया है कि देश में अब तक अनुमति प्रदान टीकों की उत्पादन क्षमता बढ़ाने के साथ ही शोध, प्रयोगशाला सुविधाओं और अन्य संस्थाओं को भी बढ़ाना चाहिए, ताकि नये टीकों का भी उपयोग हो सके. इसी माध्यम से देश की बड़ी आबादी को सस्ते, सुरक्षित और प्रभावी टीके लगाये जा सकेंगे.

 सूत्रों के अनुसार स्थाई समिति की 17 फरवरी को हुई बैठक में कई सदस्यों ने पूछा था कि देश की अधिकतम जनसंख्या का टीकाकरण कितना जल्दी हो सकता है? जवाब में कहा गया कि अगर 45 साल से कम उम्र के लोगों का टीकाकरण शुरू होता है तो टीकों की कमी होगी. जयराम रमेश के अनुसार समिति को पता था कि वैक्सीन की मांग बढ़ेगी और इसीलिए उसने केंद्र सरकार से कहा था कि मौजूदा उत्पादन नाकाफी होगा.

कोवाक्सीन का उत्पादन पूरे साल में 15 करोड़ रखने की योजना

 विशेषज्ञों के अनुसार पूरे देश के वयस्क नागरिकों का टीकाकरण करने के लिए भारत को 190 करोड़ डोज की जरूरत है. समिति की रिपोर्ट के अनुसार भारत बायोटेक और आईसीएमआर द्वारा विकसित कोवाक्सीन का उत्पादन पूरे साल में 15 करोड़ रखने की योजना है. कोविशील्ड का उत्पादन 7 से 10 करोड़ प्रतिमाह रखने का लक्ष्य है. बता दें कि कई राज्यों ने आने यहां कोविड-19 टीकाकरण के लिए वैश्विक टेंडर निकालना शुरू कर दिया है क्योंकि उन्हें घरेलू उत्पादन से जरूरी सप्लाई नहीं मिल रही है. इनमें उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, दिल्ली, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और ओडिशा आदि राज्य शामिल हैं.