Search

पार्थ पवार जमीन विवाद : सेल डीड के छह दिन बाद BSI को जारी किया गया था अवैध बेदखली नोटिस, पुणे कलेक्टर ने बताया अवैध

Lagatar Desk :  महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार के बेटे पार्थ पवार से जुड़ी कंपनी अमाडिया एंटरप्राइजेज एलएलपी के जमीन सौदे को लेकर विवाद गहराता जा रहा है. अब इस मामले में एक नया मोड़ आया है. 

 

सरकारी दस्तावेज़ों से खुलासा हुआ है कि 20 मई 2024 को अमाडिया कंपनी ने इस जमीन की सेल डीड कराई. इसके छह दिन बाद निलंबित तहसीलदार सूर्यकांत येओले ने केंद्रीय संस्था बॉटनिकल सर्वे ऑफ इंडिया (बीएसआई) को जमीन खाली करने का नोटिस जारी किया.

 

9 जून को येओले ने BSI के जॉइंट डायरेक्टर को पत्र लिखा कि उनकी लीज समाप्त हो चुकी है. री-ग्रांट क्लॉज  का हवाला देकर कहा कि जमीन अब असली मालिकों को वापस मिल गई है. उन्होंने दावा किया कि जमीन के मालिकों ने ऑक्यूपेंसी की कीमत जमा कर दी है, इसलिए BSI को तुरंत जमीन खाली करनी चाहिए.

 

STORY | Parth Pawar land row: Tehsildar issued 'illegal' eviction notice to Botanical Survey of India

Days after the controversial 40-acre Pune land deal by a firm linked to Maharashtra Deputy Chief Minister Ajit Pawar’s son Parth, a now-suspended tehsildar had asked the… pic.twitter.com/52QLwxWfpD

— Press Trust of India (@PTI_News) November 10, 2025

 

पुणे कलेक्टर ने नोटिस को अवैध बताया 

14 जुलाई को येओले ने सब-डिविजनल ऑफिसर को सूचित किया कि उन्होंने BSI को जमीन खाली करने का नोटिस भेज दिया है. इसके बाद BSI की टीम पुणे के कलेक्टर जितेंद्र डूडी से मिली. डूडी ने येओले की कार्रवाई को अवैध बताया और उन्हें आगे की किसी भी कार्रवाई से रोक दिया गया.

 

कलेक्टर डूडी ने बताया कि री-ग्रांट क्लॉज का गलत अर्थ निकाला गया था. वास्तव में कोई भी डिमांड ड्राफ्ट (DD) या भुगतान सरकार को नहीं किया गया था. उन्होंने स्पष्ट किया कि जमीन दोबारा देने का एक तय सरकारी प्रक्रिया होती है और तहसीलदार ने उस प्रक्रिया को दरकिनार कर दिया.

 

डूडी ने यह भी बताया कि भले ही सेल डीड पर 21 करोड़ रुपये की स्टाम्प ड्यूटी माफ की गई थी. लेकिन जमीन अभी भी सरकार के नाम पर दर्ज है. बता दें कि यह जमीन 1973 में BSI को 15 साल के लिए लीज पर दी गई थी, जिसे 1988 में महज 1 रुपये सालाना किराये के बदले 50 साल के लिए बढ़ाया गया था.

जांच पूरी होने तक जमीन पर नहीं होगा स्वामित्व या निर्माण कार्य

दरअसल यह विवाद पुणे के मुंधवा-कोरेगांव पार्क इलाके की लगभग 40 एकड़ सरकारी जमीन से जुड़ा है. बताया जाता है कि यह जमीन दलितों के लिए आरक्षित थी. आरोप है कि इसे 300 करोड़ रुपये में बेचा गया. जबकि इसका वास्तविक बाजार मूल्य करीब 1,800 करोड़ रुपये है.

 

विपक्ष का कहना है कि इस सौदे में भारी गड़बड़ियां हुई हैं और जरूरी सरकारी मंजूरियां नहीं ली गईं. वहीं, मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने मामले की उच्चस्तरीय जांच के आदेश दे दिए हैं. उन्होंने राजस्व विभाग और भूमि अभिलेख महानिरीक्षक से विस्तृत रिपोर्ट मांगी है.

 

सरकारी सूत्रों के मुताबिक, मामले की जांच राजस्व विभाग और भूमि अभिलेख महानिरीक्षक के स्तर पर जारी है. जब तक जांच पूरी नहीं होती, तब तक इस जमीन पर किसी भी तरह का स्वामित्व या निर्माण कार्य नहीं किया जाएगा.

 

इस विवाद को लेकर अब पिंपरी चिंचवड़ पुलिस ने भी FIR दर्ज की है. जांच में दिग्विजय पाटिल, शीतल तेजवानी (जिन्होंने 272 “मालिकों की ओर से पावर ऑफ अटॉर्नी के जरिए सौदा किया था) और सब-रजिस्ट्रार आर. बी. तारू के खिलाफ धोखाधड़ी और गबन के आरोप लगाए गए हैं.

 

डील रद्द कर दी गई :  अजित पवार

इस बीच, डिप्टी सीएम अजित पवार ने कहा कि यह डील रद्द कर दी गई है. उनका कहना है कि पार्थ पवार को इस बात की जानकारी नहीं थी कि उनकी कंपनी ने सरकारी जमीन खरीदी थी.

 

Lagatar Media की यह खबर आपको कैसी लगी. नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स में अपनी राय साझा करें

Comments

Leave a Comment

Follow us on WhatsApp