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पटमदा : पारंपरिक खेती छोड़ सब्जी की उन्नत खेती से सालाना कर सकते हैं लाखों की आमदनी

Patamda (Rishabh Rahul) : हौसला बुलंद हो तो परेशानी कितनी भी आए मंजिल मिल ही जाती है. पटमदा प्रखण्ड के लक्षीपुर पंचायत के चुड़दा गांव निवासी रंजित गोराई पर ये बात पूरी तरह से फिट बैठती है. रंजित गोराई कृषि विभाग के अंतर्गत संचालित आत्मा संस्थान से 2018 से जुड़े हुए हैं एवं प्रसार कर्मियों से तकनीकी राय एवं योजनाओं की जानकारी प्राप्त करते रहते हैं. उनके कृषि कार्य में रुचि को देखते हुए प्रखंड के आत्मा प्रसार कर्मी ने गोभी की उन्नत किस्म ब्रोकली के बारे में बताया और ब्रोकली की खेती करने का सुझाव दिया. ब्रोकली का बाजार मूल्य अन्य गोभी के तुलना में काफी अधिक होता है. बीज एवं अन्य उपादान रंजीत को वर्ष 2019-20 में दिया गया. रंजीत ने ब्रोकली की खेती कर अच्छी लाभ अर्जित की. अच्छी तरह से खेती करने के कारण प्रखंड विकास पदाधिकारी ने भी उनके खेत का भ्रमण किया एवं उत्साह बढ़ाया. इसे भी पढ़ें : कोडरमा">https://lagatar.in/koderma-brahmakumari-universitys-sister-lakshmi-tied-defense-thread-to-the-office-bearers/">कोडरमा

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किसानों के लिए प्रेरणास्रोत, लीज पर भी खेत लेकर करते हैं खेती

[caption id="attachment_733752" align="aligncenter" width="600"]https://lagatar.in/wp-content/uploads/2023/08/Patamda-Farming-1.jpg"

alt="" width="600" height="400" /> रंजीत गोराई के खेत का दृश्य.[/caption] रंजित अपने खेत के अलावे जोड़सा गांव में लीज पर जमीन लेकर खेती कर रहे हैं. इंटर पास 30 वर्षीय युवा किसान के खेती करने का जज्बा ऐसा है कि खरीफ की खेती के मौसम जून माह से जुलाई माह में जहां बारिश कम होने से किसान धान की खेती नहीं कर पा रहे थे और गड्ढों, तालाब एवं नाला में इक्ट्ठा पानी से धान का बिचड़ा बचाने में लगे हुए थे. ऐसी परिस्थिति से जुझते हुए रंजित बंधागोभी एवं फुलगोभी का अगेती बिचड़ा उत्पादन इकाई में तैयार कर अपने खेतों में रोपाई करते रहे. किट रहित बिचड़ा उत्पादन ईकाइयों में एक बार में करीब 80 हजार बिचड़ा तैयार हो जाता है. आत्मविश्वास से लबरेज रंजित गोभी की अगेती उत्पादन होने से काफी लाभ मिलने की उम्मीद से खेती में जी जान से लगे हैं. रंजित अन्य किसानों के लिए प्रेरणा हैं जो केवल धान की खेती एवं वर्षा पर आश्रित हैं. मौसम की बेरूखी एवं अल्प वृष्टि होने के कारण धान के स्थान पर वैकल्पिक फसल के रूप में सब्जी की खेती को प्राथमिक फसल के रूप में अपनाते हुए आय बढ़ा सकते हैं. [wpse_comments_template]

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