Patna: बिहार में कोरोना काल के दौरान हुई मौत के आंकड़ो को आम जनता को उपलब्ध नहीं कराने पर राज्य सरकार पर पटना HC ने नाराजगी जाहिर की है. अदालत ने कहा है कि जन्म-मृत्यु से संबंधित आंकड़ों के बारे में जानना नागरिकों का मौलिक अधिकार है. मुख्य न्यायाधीश संजय करोल और न्यायाधीश एस कुमार की खंडपीठ ने अपने आदेश में यह भी कहा है कि, राज्य सरकार को सुनिश्चित करना चाहिए कि जन्म-मृत्यु से जुड़े सभी आंकड़े डिजिटल पोर्टल के जरिए नागरिकों को उपलब्ध हो सकें.
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कोर्ट ने सरकार की नीयत पर उठाए सवाल
राज्य सरकार की कार्यप्रणाली पर हाईकोर्ट ने सवाल उठाते हुए कहा कि, ऐसा प्रतीत होता है कि कोरोना काल में हुई मौत से संबंधित आंकड़ों को सरकार सार्वजनिक करने की इच्छुक नहीं है. आज के दौर में जब केंद्र एवं राज्य सरकार डिजिटल इंडिया को प्रमुख कार्यक्रम बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं, तो सरकार का कर्तव्य है कि राज्य की दस करोड़ से अधिक जनता को डिजिटल प्लेटफार्म पर कोरोना काल में हुई लोगों की मौत की सही संख्या उजागर करे. यह इसलिए भी जरूरी है कि, मृतक के स्वजनों को सरकार की योजनाओं का लाभ मिल सके.
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डिजिटल पोर्टल को नियमित अपडेट करें
खंडपीठ ने कहा कि राज्य सरकार अपने डिजिटल पोर्टल को नियमित रूप से अपडेट नहीं करती है. इन्हें नियमित तौर पर अपडेट किया जाना चाहिए. अदालत ने स्पष्ट किया कि जन्म-मृत्यु के निबंधन अधिनियम-1969 और सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 के तहत हर नागरिक को सूचना पाने का अधिकार है. सरकार को संतुलित दृष्टिकोण रखना चाहिए. जनता को संवैधानिक अधिकार द्वारा संवेदनशील बनाने के लिए राज्य सरकार सभी कदम उठाए. 2018 के बाद जो वार्षिक रिपोर्ट अपडेट के लिए लंबित है, उसे डिजिटल पोर्टल पर अगले दो महीनों के भीतर अपडेट किया जाना चाहिए.
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