Dinesh Kumar Pandey
BOKARO : चास प्रखंड के दर्जनों गांवों में गर्मी के पहले ही जलसंकट उत्पन्न हो गया है. लोगों को घरेलू काम के लिए तालाब का सहारा लेना पड़ रहा है. दूसरी तरफ विभागीय आंकड़े बताते हैं कि लगभग साढ़े पांच सौ चापाकल बेकार पड़े हैं और उनकी मरम्मत नहीं हो रही है. पेयजल के लिए लोगो को लंबी दूरी तय करनी पड़ती है. कतारबद्ध होकर लोग पीने का पानी लेते हैं.
लोग पानी ऐसे खर्च करते हैं, मानो दूध से बर्तन धो रहे हों. बावजूद विभाग खराब चापाकलों की मरम्मत शुरू नहीं करता. सरकारें विकास की बड़ी बड़ी बातें करती है, लेकिन धरातल की कहानी कुछ और है. चास के लोग बोकारो से पानी ले जाते हैं. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 750 अदद रोटेन राइजर पाइप को बदलकर चापाकलों की मरम्मत की गई है, वहीं एक साल के भीतर 3088 चापाकलों की मरम्मत हुई है.
सच्चाई तो यह है कि नई योजनाओं का कार्यान्वयन तो होता है, लेकिन पुरानी योजना की सुधि तक नहीं ली जाती. बोकारो विधायक बिरंचि नारायण ने बताया कि उनके द्वारा अनुशंसित चापाकल लगाए जा रह हैं. पेयजल संकट को कुछ हद तक दूर करने की कवायद उनकी सरकार ने की थी, लेकिन अब तो नये की बात तो दूर, पुराने चापाकलों की मरम्मत तक नहीं होती.
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