मंदिर का इतिहास काफी पुराना है
मंदिर की स्थापना तत्कालीन टिकेट रोहन विश्वनाथ प्रताप सिंह ने वर्ष 1817 में की थी. उसी वर्ष मां दुर्गा की पूजा भी शुरू हुई थी. लोगों का कहना है कि खपड़ैलनुमा मंदिर से पूजा शुरू की गई थी. आज यहां एक भव्य मंदिर बना हुआ है. दुर्गा पूजा समिति के सचिव महेंद्र साव ने बताया कि इस मंदिर का इतिहास काफी पुराना है. दुर्गा पूजा में आसपास के गावों के लोगों के अलावा बिहार राज्य के चकाई प्रखंड से भी श्रद्धालु आते हैं. इस दुर्गा मंदिर में लोगों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं. जिसकी मनोकामनाएं पूरी होती हैं वे काफी उत्साह के साथ यहां आते हैं. इसे भी पढ़ें- पीएम">https://lagatar.in/bjp-workers-sent-congratulatory-letters-on-completion-of-20-years-of-pm-modis-good-governance/">पीएममोदी के सुशासन के 20 वर्ष पूरे होने पर भाजपा कार्यकर्ताओं ने भेजा अभिनंदन पत्र
श्रद्धालुओं के लिए मास्क पहनना अनिवार्य है
पूजा समिति के कोषाध्यक्ष रेणुलाल चौरसिया ने बताया कि राज्य सरकार द्वारा कोविड को लेकर जारी दिशानिर्देश के तहत यहां पूजा हो रही है. मंदिर में आने वाले सभी श्रद्धालुओं के लिए मास्क पहनना अनिवार्य किया गया है. मंदिर परिसर में आने से पहले भक्त सैनिटाइज करते हैं. कहा कि विजया दशमी को शाम पांच बजे तक बिना जुलूस निकाले ही प्रतिमा का विसर्जन कर दिया जाएगा. दुर्गा पूजा को लेकर लोगों में काफी उत्साह है. लेकिन कोरोना को लेकर जारी निर्देश से कुछ श्रद्धालु निराश भी हैं. इसे भी पढ़ें- भाजमो">https://lagatar.in/bjp-celebrates-death-anniversary-of-lok-nayak-jai-prakash-on-mango-jp-setu/">भाजमोने मानगो जेपी सेतु पर लोकनायक जय प्रकाश की पुण्यतिथि मनाई [wpse_comments_template]
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