Ranchi : रांची में 10 जून को हुये हिंसा की एनआईए से जांच कराने के लिए झारखंड हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की गयी है. पंकज कुमार यादव ने याचिका में हैदराबाद के सांसद असददुद्दीन ओवैसी, सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया के महासचिव यास्मीन फारूकी समेत रांची के उपायुक्त, एसएसपी, मुख्य सचिव, एनआइए, ईडी और आयकर आयुक्त को प्रतिवादी बनाया है. अदालत से इस मामले की एनआईए से जांच करा कर हिंसा में शामिल लोगों के खिलाफ झारखंड संपत्ति विनाश एवं क्षति निवारण विधेयक 2016 के तहत आरोपियों के घरों को ध्वस्त करने का आदेश दिए जाने का आग्रह किया गया है.
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याचिका में रांची की घटना को प्रायोजित बताते हुए एनआईए से जांच करा कर यह पता लगाने का आग्रह किया गया है कि किस संगठन ने फंडिंग कर घटना को अंजाम दिया है. नूपुर शर्मा के बयान पर जिस तरह से रांची के एसएसपी और हजारों लोगों पर पत्थरबाजी की गयी, प्रतिबंधित अस्त्र-शस्त्र का उपयोग किया और धार्मिक स्थल पर हमले हुए वह बताता है कि पूरा मामला प्रायोजित है. याचिका में एक खास समुदाय को लक्ष्य कर आक्रमण करने वालों की पहचान करने का आग्रह किया गया है.
याचिका में बांग्लादेशियों और रोहिंग्या समुदाय के लोगों पर रांची में गलत तरीके से रहने का आरोप लगाया गया है. उनकी भूमिका की भी जांच कराने का आग्रह अदालत से किया गया है. प्रार्थी ने पोपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया के साथ रांची के अलगाववादियों का लिंक तलाशने का आग्रह भी किया है. प्रार्थी का कहना है कि पीएफआई एक्टिविस्टों ने 10 जून को देश के 14 राज्यों में ऐसी हिंसा की है. तीन जून को कानपुर में भी हिंसा की घटनाओं को अंजाम दिया गया है. पीएफआई ने स्थानीय लोगों की मदद से यह हिंसा की है और इसके लिए फंडिंग भी की है.
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