LagatarDesk : देश में कोरोना महामारी की दूसरी लहर व्यापक रुप ले रही है. लगातार कोरोना के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए कई राज्यों ने आंशिक लॉकडाउन लगा दिया. इसके कारण अप्रैल में पेट्रोल-डीजल के मांग में गिरावट दर्ज की गयी. सरकारी तेल कंपनियों के मुताबिक, अगस्त 2020 के बाद पेट्रोल की बिक्री सबसे कम हुई.
अप्रैल में पेट्रोल की बिक्री घटकर 21.4 लाख टन रह गयी. पिछले साल इसी समय पेट्रोल की बिक्री 8.72 लाख टन रही थी. अगस्त 2020 के बाद से ग्राहकों ने अप्रैल में सबसे कम पेट्रोल खरीदा है. मार्च के मुकाबले अप्रैल में पेट्रोल की बिक्री में 6.3 प्रतिशत की कमी आयी है. अप्रैल 2019 से तुलना करें तो करीब 4.1 फीसदी की कम आयी है. अप्रैल 2020 8,72,000 पेट्रोल बेचा गया था.
डीजल की बिक्री में भी आयी कमी
पेट्रोल के साथ साथ डीजल की बिक्री भी घटती जा रही है. आकंड़ों के मुताबिक अप्रैल 2021 में कुल 50.9 लाख टन डीजल की बिक्री हुई. वहीं अप्रैल 2020 में 28.40 लाख टन की बिक्री हुई थी. मार्च 2021 के मुकाबले अप्रैल में डीजल की बिक्री में 1.7 फीसदी की कमी आयी है. वहीं अप्रैल 2019 से तुलना करें तो 9.9 फीसदी कम डीजल ग्राहकों ने खरीदा. अप्रैल 2021 में इसकी बिक्री 3.77 लाख टन रही. यह इसी साल मार्च के मुकाबले 11.5 फसदी और अप्रैल 2019 की तुलना में 39.1 फीसदी कम है. मार्च के मुकाबले अप्रैल में एलपीजी की खपत 6.3 फीसदी की गिरावट आयी. अप्रैल में 21 लाख टन एलपीजी का उपयोग किया गया.
पेट्रोल-डीजल की मांग का इकोनॉमी पर पड़ेगा बुरा असर
जिस तरह कोरोना की रफ्तार बढ़ रही है. अगर महामारी ऐसा ही बढ़ता रहा तो इकोनॉमी पर इसका बहुत बुरा प्रभाव पड़ेगा. केंद्र और राज्य को पेट्रोल-डीजल से सबसे अधिक टैक्स मिलता है. यदि मांग में इसी तरह कम आयेगी तो इसका असर सरकारी खजाने पर होगा.