व्यवसाय सहित आम लोग भी प्रभावित
एसोसिएशन के अध्यक्ष अशोक कुमार सिंह ने कहा कि राज्य सरकार के वित्त मंत्री से मुलाकात कर उन्हें ज्ञापन सौंपा था, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है. झारखंड में 1400 पेट्रोल पंप हैं, जिनसे सीधे तौर पर 2.50 लाख से अधिक परिवारों की आजीविका जुड़ी हुई है. वैट की उच्च दरों के कारण व्यवसाय तो प्रभावित हो ही रहा है, आम नागरिकों को भी परेशानी हो रही है. केंद्र सरकार द्वारा एक्साइज टैक्स में कमी के बाद ज्यादातर राज्यों ने पेट्रोलियम पदार्थों पर अपने टैक्स कम कर दिये हैं, लेकिन झारखंड सरकार की ओर से कोई पहल नहीं हुई है.पिछली सरकार के निर्णय का नतीजा
कहा कि वर्ष 2015 के फरवरी माह में झारखंड की तत्कालीन सरकार ने पेट्रोलियम पदार्थों पर वैट की दर 18 फीसदी से बढ़ा कर 22 फीसदी कर दी थी. उसी समय से राज्य में यह व्यवसाय धीरे-धीरे कमजोर पड़ रहा है. मंगलवार 21 दिसंबर को राज्य के सभी पेट्रोल पंपों पर नो परचेज-नो सेल का बोर्ड लगाकर एक दिवसीय हड़ताल की जाएगी. यह भी पढ़ें : धनबाद">https://lagatar.in/woman-commits-suicide-in-dhanbads-jorapokhar-house/">धनबादके जोरापोखर स्थित घर में महिला ने की आत्महत्या [wpse_comments_template]