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PIL कैश कांड : कोलकाता पुलिस ने ईडी और सीबीआई के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया

Ranchi / Delhi : झारखंड हाईकोर्ट के अधिवक्ता राजीव कुमार और कोलकाता के व्यवसायी अमित अग्रवाल से जुड़े जनहित याचिका मैनेज करने के लिए कैश कांड मामले में कोलकाता पुलिस ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और सीबीआई के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट दरवाजा खटखटाया है. याचिका में कोलकाता पुलिस ने कहा कि ईडी और सीबीआई ने निराधार आरोप लगाया है कि पिछले साल 30 जुलाई को राजीव कुमार को फंसाने के लिए अमित अग्रवाल के साथ मिली भगत की. कोलकाता पुलिस ने आगे कहा है कि न तो ईडी ने और न ही सीबीआई ने व्यक्तिगत रूप से किसी पुलिस अधिकारी के खिलाफ कोई आरोप लगाया है, लेकिन दोनों एजेंसियों ने पूरी कोलकाता पुलिस का नाम लिया जो बेहद पूर्वाग्रही और कानून की नजर में खराब है. इसमें अमित अग्रवाल को भी पक्षकार बनाया गया है. याचिका कोलकाता के पुलिस आयुक्त द्वारा एसएलपी (अपराध) के रूप में दायर की गई है और कहा जाता है कि इस पर आज ( शुक्रवार) न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति एमएम सुंदरेश की पीठ सुनवाई करेगी.
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जनहित याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया था

राजीव कुमार झारखंड हाईकोर्ट में अधिवक्ता हैं जो शेल कंपनी से संबंधित मामले सहित तीन जनहित याचिकाओं में अपने मुवक्किल शिव शंकर शर्मा की ओर से बहस कर रहे थे. जो मुख्य रूप से झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के खिलाफ थे. उक्त जनहित याचिका में उन्होंने आरोप लगाया कि अमित अग्रवाल हेमंत सोरेन के साथ घनिष्ठ रूप से जुड़े हुए थे और उनकी कंपनियों के माध्यम से भी अवैध धन को सफेद किया गया था. हालांकि, इन जनहित याचिकाओं को बाद में सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया था. इस घटना ने तब मोड़ ले लिया जब राजीव कुमार को कोलकाता पुलिस ने पिछले साल 31 जुलाई को कोलकाता में 50 लाख रुपये नकद के साथ गिरफ्तार किया था. बाद में पता चला कि अमित अग्रवाल की शिकायत पर उसे फंसाया गया था. ईडी ने इस मामले को जांच के लिए लिया और बाद में जनहित याचिका मामले के लिए अमित अग्रवाल और राजीव कुमार के खिलाफ मामला दर्ज किया.

झारखंड हाई कोर्ट के निर्देश पर CBI ने की जांच

बाद में, अमित अग्रवाल ने इस मामले में राहत और एक स्वतंत्र जांच के लिए झारखंड उच्च न्यायालय के समक्ष एक याचिका दायर की, क्योंकि ईडी द्वारा एक अभियुक्त के रूप में दर्ज किये जाने से वह व्यथित महसूस कर रहे थे. न्यायमूर्ति संजय द्विवेदी की अदालत ने सीबीआई को इस मामले की प्रारंभिक जांच करने का आदेश दिया. सीबीआई ने जांच समाप्त की और अमित अग्रवाल और कोलकाता पुलिस के अज्ञात अधिकारियों के खिलाफ साजिश रचने और न्यायपालिका, ईडी अधिकारियों और अन्य सरकारी अधिकारियों को एक कथित रूप से तुच्छ
प्राथमिकी के माध्यम से बदनाम करने के लिए प्राथमिकी दर्ज की.
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