5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस है, इसे लेकर पूरी जिले में जागरुकता अभियान चलाया जा रहा है. स्कूल के बच्चों को पौधे लगाने के प्रति जागरुक किया जा रहा है.
Rehan Ahmad
Ranchi : झारखंड का मौसम 20-25 साल पूर्व काफी सुहाना था, हल्की गर्मी पड़ते ही झमाझम बारिश हो जाना झारखंड के मौसम की खासियत में शामिल था. हिल स्टेशन के रूप में लोगों के जुबां पर झारखंड का नाम रहता था. बाहर के लोग गमिर्यों में मौसम का आनंद लेने झारखंड का रुख करते थे. यहां के झरने, पहाड़, जंगल, गांव के नजारे अलबेले लगते थे. प्रवासी पक्षी यहां गर्मी के मौसम में बड़ा तालाब, कांके डैम, धुवा डैम, गेतलसूत डैम अन्य नदी तालाबों में झुंड के झुंड पहुंचते थे. वहीं आज के समय में झारखंड पूरी तरह से बदल गया है. यहां की गर्मी यूपी, बिहार व कोलकाता के समान होने लगी है. गुरुवार को रांची का अधिकतम तापमान 42 डिग्री से ऊपर था,हां प्रचंड गर्मी पड़ रही है. इंसानों से लेकर जानवर, परिंदे, कीड़े मकोड़े सभी परेशान हैं.
पर्यावरण बचाने के लिए पेड़ लगाना जरूरी : अभिषेक आनंद
मौसम विज्ञान केंद्र रांची के मौसम वैज्ञानिक अभिषेक आनंद ने कहा कि पेड़, पौधों के कटने से पर्यावरण में तेजी से बदलाव हुआ है. खेत, खलिहान, जंगल, पहाड़ सभी नष्ट किये जा रहे हैं, तालाबों का अस्तित्व भी सिमट रहा है. नदियां प्रदूषित हो गयी हैं. जो भी तालाब बचे हुए हैं, उसमें सीधे नालों का दूषित पानी जाता है. इन सब के साथ जगह जगह कंक्रीट के जंगल खड़े हो गये हैं. रिंग रोड के निर्माण को लेकर बड़ी संख्या में पेड़ों को काट कर नष्ट कर दिया गया है. पेड़ जो ऑक्सीजन देते हैं, उन्हें बचाने पर कोई ध्यान नहीं है, बस इसे खत्म किया जा रहा है. फिर ऐसे में तो मौसम में बदलाव होगा ही, गर्मी तेज पड़ेगी. बारिश आनी भी मुश्किल हो जायेगी. यह स्थिति पूरी दुनिया के लिए घातक साबित होगा. सरकार भी इसके लिए जिम्मेदार है.
एसी लगाने से अच्छा होगा 5 पौधे लगायें
अभिषेक आनंद ने कहा कि पर्यावरण के बचाव के लिए सरकार के साथ नगर निगम को ठोस कदम उठाोनं की जरूरत है. कहा कि भवनों के नक्शे बिना वाटर हारवेस्टिंग के पास नहीं होने चाहिए. नदी-तालाबों को अतिक्रमण मुक्त किये जाने की जरूरत है. प्रशासन राज्य में मौजूद उद्योगों-फैक्टरियों को कड़ाई से नियम पालम कराये. पाल्यूशन फैलाने पर उन पर कार्रवाई की जाये. कहा कि केरल, बैंगलूरू में हर नागरिक अपनी जिम्मेदारी समझता है, वहां के लोग 5 पौधे लगाते हैं. हम लोग ज्यादा नहीं तो दो पौधे तो लगा ही सकते हैं. 10 हजार का एसी लगाने से अच्छा होगा 5 पौधे लगाये, यह आप को ऑक्सीजन प्रदान करेगा.
नागरिकों की भी जिम्मेदारी है, पर्यावरण बचाना : एनके सिंह
वन विभाग के एपीसीसीएफ एनके सिंह ने कहा कि पेड़, पौधे, जंगल, कट रहे हैं, मिट्टी का भी बहाव हो रहा है. ऐसे में झारखंड का वातावरण तेजी से प्रभावित हो रहा है. इसके लिए जमीन में पानी का रिचार्ज होना जरूरी है, डैम, तालाब, पोखर, ढोंड़ा में बांध बना कर पानी के बहाव को धीमा किये जाने पर जमीन में पानी रिचार्ज होता है. इस पहल से पानी की कमी में गिरावट आयेगी.
5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस है, इसे लेकर पूरी जिले में जागरुकता अभियान चलाया जा रहा है. स्कूल के बच्चों को पौधे लगाने के प्रति जागरुक किया जा रहा है. पेड़ लगेंगे तो पर्यावरण विकसित होगा. इस तरह झारखंड का वातावरण में बहुत हद तक सुधार होगा. पर्यावरण सिर्फ वन विभाग की जिम्मेदारी नहीं, यह नागरिकों की जिम्मेदारी है. हर नागरिक इस जिम्मेदारी को अपने जीवन का अहम हिस्सा समझे तो सभी 2 पौधे जरूर लगायेंगे
बारिश के लिए तरस रहे किसान : हंसराज
उमेडंडा के किसान हंसराज ने कहा कि आज से 20 साल पहले झारखंड का मौसम काफी सुहाना था. जहां तेज गर्मी पड़ती थी तो बारिश हो जाया करती थी, पर अब तो हम लोग बारिश के लिए तरस रहे हैं. पेड़-पौधे पहाड़, खेत, खलिहानों का नष्ट होना इसका मुख्य कारण है.
झारखंड-बिहार का मौसम एक समान हो गया है
80 वर्षीय बुजुर्ग व्यापारी रामाधार मिश्रा ने कहा कि अब तो मैं बूढ़ा हो गया हूं. पह जवानी के दिन मुझे आज भी याद है, मैं बिहार का हूं, गर्मी के समय में बिहार के गांवों से काफी लोग कारोबार के लिए यहां झारखंड आ जाते थे. यहां का मौसम बहुत अच्छा हुआ करता था, पर अब तो झारखंड-बिहार का मौसम एक समान हो गया है.
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