- PMAY (U) के तहत 5 साल में बने सिर्फ 67,899 मकान
- 2 साल में झारखंड में कैसे कंप्लीट होंगे 1,30,684 मकान ?
- बेघरों को घर देने में सबसे आगे उत्तर प्रदेश
- बिहार में 26.78 लाख लाभुकों को आवास की स्वीकृति
- छत्तीसगढ़ में 8 लाख से अधिक मकान बनने हैं बाकी
Satya Sharan Mishra
Ranchi: देश के हर बेघर को 2022 तक छत देने का पीएम मोदी का सपना पूरा नहीं हो पाएगा. कोरोना काल में करीब एक साल सारी गतिविधियां बंद पड़ी रही. इस लिहाज से सरकार एक साल और एक्सटेंशन ले ले और 2022 में एक साल और जोड़ दिया जाए तब भी 2023 तक यह सपना पूरा नहीं होने वाला. झारखंड में प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) की बात करें तो यहां 1,98,574 घरों की स्वीकृति दी गई है. 5 जून 2015 को योजना लॉन्च होने के 5 साल बाद यानि 2020 तक राज्य में 1,98,547 से सिर्फ 67,899 घरों का निर्माण पूरा हुआ है, और 60,881 आवासों पर काम चल रहा है. जबकि 69,794 आवास का काम शुरू भी नहीं हुआ है.
गौर करने वाली बात ये है कि जब 5 साल में सिर्फ 67,899 आवास ही बने हैं तो फिर अगले दो साल में इससे दोगुना से भी ज्यादा संख्या में बचे घर कैसे बनेंगे. इतना ही नहीं योजना के घटक लाभार्थी आधारित आवास निर्माण के तहत 1,37,983 आवासीय इकाईयां स्वीकृत की गई है. इनमें भी सिर्फ 67,341 इकाईयों का निर्माण पूरा हुआ है, जबकि 70,642 इकाईयों का निर्माण पूरा होना बाकी है. वित्तीय वर्ष 2021-22 में भी 30 हजार घरों की स्वीकृति दी जाएगी. यह आंकड़े तो सिर्फ झारखंड के प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) के हैं. पीएम आवास योजना (ग्रामीण) की स्थति भी काफी बेहतर नहीं है.
बेघरों को घर देने में सबसे आगे उत्तर प्रदेश
प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत आवास देने के मामले में उत्तर प्रदेश सबसे आगे है. इस योजना के तहत उपलब्ध कराये गये दो करोड़ आवासों के लाभार्थियों में से 30 लाख परिवार यूपी के ही हैं. यूपी अबतक 14.34 लाख घर इस योजना के तहत बना चुका है. वहीं झारखंड के अलावा पड़ोसी राज्य बिहार, छत्तीसगढ़, ओडिशा, मध्य प्रदेश के अलावा राजस्थान, महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल भी पीएम आवास योजना के क्रियान्वयन में देश के दूसरे राज्यों से आगे हैं. दूसरे राज्यों की स्थिति इन राज्यों से काफी खराब है.
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बिहार में 26.78 लाख लाभुकों को आवास की स्वीकृति
बिहार में प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना के तहत वित्तीय वर्ष 2016-17 से 2020-21 के लिए आवास निर्माण के निर्धारित भौतिक लक्ष्य 32,60,978 के विरुद्ध अबतक 26.78 लाख लाभुकों को आवास निर्माण की स्वीकृति दी गई है. इस दौरान इस योजना के तहत 25 हजार 6 सौ 2 करोड़ 13 लाख 35 हजार रुपए खर्च किया गया है. इस वित्तीय वर्ष में 8 हजार 6 सौ 24 करोड़ 18 लाख 3 हजार रुपये खर्च किये गये हैं.
छत्तीसगढ़ में 8 लाख से अधिक मकान बनने हैं बाकी
बात अगर छत्तीसगढ़ की करें तो यहां अभी 8 लाख से अधिक मकान बनने बाकी हैं. छत्तीसगढ़ को वित्तीय वर्ष 2019-20 में 1,51,100 आवास, 2020-21 में 6,48,867 आवास की केंद्र द्वारा स्वीकृति का लक्ष्य मिला था. राज्य ने इनमें से 3,8,079 आवास स्वीकृत किया है, जिसके बाद राज्य में 8,59,578 लाभुकों का मकान बाकी रह गया है.
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क्या है प्रधानमंत्री आवास योजना
- केंद्र सरकार का लक्ष्य वर्ष है कि 2022 तक 4 करोड़ पक्के मकानों का निर्माण करना है. आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग तथा निम्न आय वर्गो के लिये योजना के अन्तर्गत 6 लाख तक का ऋण 20 साल की अवधि के लिये उपलब्ध कराया जायेगा.
- योजना के अन्तर्गत 50 प्रतिशत यानि 2.67 लाख की सब्सिडी देय ऋण पर उपलब्ध करायेगी.
- एमआईजी 1 तथा एमआईजी 2 ग्रुप के व्यक्तियो को 20 साल के लोन पर 4 फीसदी तथा 3 फीसदी की ब्याज सब्सिडी प्रदान करेगी.
- कुल मिलाकर एमआईजी 1 तथा एमआईजी 2 ग्रुप को 35 लाख व 2.30 लाख की सब्सिडी पर करा रही है.
- EWS and LIG ग्रुप को अधिकतम 60 sqm कारपेट एरिया का घर खरीदने पर यह सब्सिडी उपलब्ध करायेगी.
- EWS and LIG 2 आय ग्रुप को अधिकतम 160 sqm तथा 200 sqm कारपेट एरिया का घर खरीदने पर यह सब्सिडी उपलब्ध करायेगी.
योजना में शामिल शहर और राज्य
- छत्तीसगढ़- 1000 शहर / कस्बे
- राजस्थान
- हरियाणा, 38 शहरों और कस्बों में 53,290 घर
- गुजरात, 45 शहरों और कस्बों में 15,584 घर
- उड़ीसा, 26 शहरों और कस्बों में 5,133 घर
- महाराष्ट्र, 13 शहरों और कस्बों में 12,123 घर
- केरल, 52 शहरों में 9,461 घर
- कर्नाटक, 95 शहरों में 32,656 घर
- तमिलनाडु, 65 शहरों और कस्बों में 40,623 घर
- जम्मू और कश्मीर – 19 शहर / कस्बे
- झारखंड – 15 शहर / कस्बे
- मध्य प्रदेश – 74 शहर / कस्बे
- उत्तराखंड, 57 शहरों और कस्बों में 6,226 घर
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