- झारखंड में दम तोड़ रही पीएम कुसुम सोलर फार्मिंग स्कीम - झारखंड को 50 मेगावाट बिजली उत्पादन का मिला था लक्ष्य - न किसान आगे आए और न ही डेवलपर ले रहे रुचि Kaushal Anand Ranchi: किसानों की आय दोगुनी करने को लेकर केंद्र सरकार की बहुप्रतीक्षित प्रधानमंत्री कुसुम सोलर फार्मिंग योजना (प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान अभियान) पार्ट-ए झारखंड में फ्लॉप होने की कगार पर पहुंच गई है. झारखंड को केंद्र सरकार से सोलर फार्मिंग के जरिए 50 मेगावाट बिजली उत्पादन का लक्ष्य मिला था. इसके तहत किसान अपने बंजर या फिर खाली पड़े जमीन पर सोलर फार्मिंग कर आय दुगुनी कर सकते हैं. इसके लिए विगत दो वर्षों में पांच बार निविदा और एक्सप्रेंसन ऑफ इंटरेस्ट निकाले गए. मगर अब तक न तो किसान आगे आए और न ही किसी डेवलपर ने इसमें रुचि दिखायी.
क्या है पूरी योजना
-किसानों की आय बढ़ाने के उद्देश्य से केंद्र सरकार ने सोलर फार्मिंग के लिए वित्तीय वर्ष 2021-22 में कुसुम योजना शुरू की थी. - योजना के तहत झारखंड को 50 मेगावाट का लक्ष्य मिला है. किसान अपनी बंजर या उपजाऊ दोनों तरह की जमीन में इसे लगा सकते हैं. - जेबीवीएनएल किसानों के साथ 25 वर्ष का करार करेगा. एक मेगावाट का संयंत्र लगाने में 15 लाख यूनिट बिजली पैदा होगी. इसके रखरखाव पर सालाना पांच से छह लाख रुपये का खर्च आएगा. - 11 केवी लाइन के जरिए बिजली निगम किसानों से बिजली खरीदेगा. एक मेगावाट का प्लांट लगाने के लिए करीब 5 एकड़ जमीन एवं करीब साढ़े चार करोड़ रुपये खर्च आना है.
नियम और शर्तें ही बन रहीं बाधा
- किसानों को यह डर सता रहा है कि कहीं पूरी योजना डेवलपर के हाथों में न चली जाए. चूंकि एक सबस्टेशन के अंतर्गत एक प्लांट ही लगना है. - विद्युत नियामक आयोग ने सोलर फार्मिंग से उत्पादित बिजली खरीद की दर 3 रुपये 9 पैसे तय की है. जेबीवीएनएल एवं किसानों के बीच बिजली खरीद का एमओयू होगा. - जेबीवीएनएल के अनुसार, यह एग्रीमेंट किसान और जेबीवीएनएल के बीच होगा और पैसा किसान के खाते में जाएगा. - किसान जब खुद से प्लांट लगाने की स्थिति में नहीं रहेंगे तो डेवलपर उनके साथ एक हिडेन एग्रीमेंट करेंगे, जिसमें 3 रुपये 9 पैसे में किसान को कितना पैसा देंगे, यह स्पष्ट नहीं है. - किसान इस चिंता में हैं कि जब वह डेवलपर के माध्यम से प्लांट लगाएंगे तो निश्चित ही डेवलपर हिडेन एग्रीमेंट में बड़ा खेल करेंगे. - किसानों को सिक्योरिटी राशि के नाम पर एक लाख रुपये जमा करने हैं. किसानों ने यह सवाल उठाया कि गरीब किसान इतनी बड़ी रकम कहां से लाएंगे. - केंद्र सरकार ने सोलर फार्मिंग योजना के लिए लोन लेने के लिए नाबार्ड एवं केनरा बैंक को इनरोल्ड किया है, मगर पहले नाबार्ड बैंक ने इससे हाथ खींच लिया है, वहीं दूसरी ओर केनरा बैंक ने बिना किसी सिक्योरिटी या मॉर्गेज के लोन देने को तैयार हुई. इसे लेकर कई बार केंद्र सरकार, जेबीवीएनएल के साथ बैंक ग्रुप के साथ बैठक हुई. मगर रास्ता नहीं निकला. - एक मेगावाट सोलर प्लांट के लिए 5 एकड़ जमीन एवं करीब साढ़े चार करोड़ रुपये खर्च आना है. कोई भी किसान खुद से पैसा लगाने की स्थिति में नहीं रहेगा. इसके बाद बड़े डेवलपर आएंगे और किसानों की जमीन औने-पौने दाम पर लेंगे. इससे किसानों की जमीन 25 साल तक फंसने की संभावना जतायी जा रही है.
क्या कहते हैं जेबीवीएनएल अफसर
ऐसा नहीं है कि यह स्कीम फ्लॉप हो चुकी है. निजी डेवलपर आ रहे हैं. स्कीम को समझ रहे हैं. कई बड़े डेवलपर संपर्क में हैं. उनकी उलझनों को हम सुलझा रहे हैं. स्कीम लंबे समय के लिए है. इसलिए इसे शुरू करने में देरी हो रही है. उम्मीद करते हैं कि आने वाले दिनों में डेवलपर इसमें रुचि लेंगे और यह स्कीम धरातल पर उतरेगी.
-रिषिनंदन, चीफ इंजीनियर, जेबीवीएनएल
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