भारतीय जनता पार्टी को उम्मीद है कि यह मुद्दा लोकसभा चुनाव में दक्षिणी राज्य में बढ़त हासिल करने के उसके प्रयासों में मददगार साबित होगा
New Delhi : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मीडिया में आयी एक खबर के हवाले से आज रविवार को कहा कि नये तथ्यों से पता चलता है कि कांग्रेस ने कच्चातिवु द्वीप संवेदनहीन ढंग से श्रीलंका को दे दिया था. उन्होंने एक्स’ पर खबर साझा करते हुए कहा, आंखें खोलने वाली और चौंका देने वाली खबर. नये तथ्यों से पता चलता है कि कांग्रेस ने कैसे संवेदनहीन ढंग से कच्चातिवु दे दिया था. इससे प्रत्येक भारतीय नाराज है और लोगों के दिमाग में यह बात बैठ गयी है कि हम कभी कांग्रेस पर भरोसा नहीं कर सकते. नेशनल खबरों के लिए यहां क्लिक करें
Eye opening and startling!
New facts reveal how Congress callously gave away #Katchatheevu.
This has angered every Indian and reaffirmed in people’s minds- we can’t ever trust Congress!
Weakening India’s unity, integrity and interests has been Congress’ way of working for…
— Narendra Modi (@narendramodi) March 31, 2024
#WATCH | BJP MP Sudhanshu Trivedi says, “On the issue of Katchatheevu, I would like to remind the entire nation that it belonged to India till 1975 and it is just 25 km from the Indian coast in Tamil Nadu. Earlier Indian fishermen used to go there but during the reign of Indira… pic.twitter.com/EjerL17z07
— ANI (@ANI) March 31, 2024
Pradhan Mantri @narendramodi ji,
You have suddenly woken up to the issues of territorial integrity and national security in your 10th year of misrule. Perhaps, elections are the trigger. Your desperation is palpable.
1. “The Land Boundary Agreement between India and Bangladesh…
— Mallikarjun Kharge (@kharge) March 31, 2024
के अन्नामलई के आरटीआई आवेदन पर यह जानकारी सामने आयी
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को उम्मीद है कि यह मुद्दा लोकसभा चुनाव में दक्षिणी राज्य में बढ़त हासिल करने के उसके प्रयासों में मददगार साबित होगा. यह खबर भाजपा की तमिलनाडु इकाई के अध्यक्ष के अन्नामलई के आरटीआई (सूचना का अधिकार) आवेदन पर मिले जवाब पर आधारित है. उन्होंने पाक जलसंधि में इस द्वीप को पड़ोसी देश श्रीलंका को सौंपने के 1974 में तत्कालीन इंदिरा गांधी सरकार के फैसले को लेकर जानकारियां मांगी थी.
नेहरू ने कथित तौर पर कहा था, द्वीप पर दावा छोड़ने में कोई झिझक नहीं
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, भारत की एकता, अखंडता और हितों को कमजोर करना कांग्रेस का 75 वर्ष से काम करने का तरीका रहा है. खबर में उस मुद्दे पर देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की टिप्पणियों का भी उल्लेख है जो भारत और श्रीलंका के बीच विवाद की जड़ रहा है. नेहरू ने कथित तौर पर कहा था कि उन्हें इस द्वीप पर अपना दावा छोड़ने में कोई झिझक नहीं होगी.
यह 1975 तक भारत का था, यह तमिलनाडु में भारतीय तट से सिर्फ 25 किमी दूर है
भाजपा सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि कच्चतीवू के मुद्दे पर वे देश को याद दिलाना चाहेंगे कि यह 1975 तक भारत का था. यह तमिलनाडु में भारतीय तट से सिर्फ 25 किमी दूर है. पहले भारतीय मछुआरे वहां जाते थे लेकिन इंदिरा गांधी के शासनकाल में तत्कालीन सरकार ने इसे श्रीलंका को सौंप दिया… उस समझौते में यह भी कहा गया था कि कोई भी भारतीय मछुआरा वहां नहीं जा सकता. इस वजह से कई मछुआरों को पकड़कर जेल में बंद किया गया. उन्हें अत्याचार का सामना करना पड़ा. न तो द्रमुक और न ही कांग्रेस इस मुद्दे को उठाती है.
खड़गे का आरोप मोदी ने लोकसभा चुनाव में तमिलनाडु को ध्यान में रखकर कच्चातिवु द्वीप का मुद्दा उठाया,
मल्लिकार्जुन खड़गे ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री मोदी ने लोकसभा चुनाव में तमिलनाडु को ध्यान में रखकर कच्चातिवु द्वीप का मुद्दा उठाया, जबकि उनकी सरकार की विदेश नीति की विफलता के कारण नेपाल, भूटान और मालदीव जैसे मित्रवत पड़ोसियों के कारण रिश्ते बिगड़ गये. खड़गे ने एक्स पर पोस्ट किया,‘प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी, आप अपने कुशासन के 10वें वर्ष में क्षेत्रीय अखंडता और राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों पर अचानक जाग गये हैं. शायद, चुनाव ही इसका कारण है. आपकी हताशा स्पष्ट है. उनके अनुसार, वर्ष 2015 में प्रधानमंत्री मोदी ने बयान दिया था कि भारत और बांग्लादेश के बीच भूमि सीमा समझौता दिलों का मिलन है तथा यह बयान 1974 में इंदिरा गांधी की पहल की सराहना करता है.
आपकी सरकार ने मैत्रीपूर्ण भाव से भारत से 111 एन्क्लेव बांग्लादेश को स्थानांतरित कर दिये
कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, आपकी सरकार के तहत, मैत्रीपूर्ण भाव से भारत से 111 एन्क्लेव बांग्लादेश को स्थानांतरित कर दिये गये, और 55 एन्क्लेव भारत में आ गये. 1974 में मैत्रीपूर्ण भाव पर आधारित एक समान समझौता एक अन्य देश श्रीलंका के साथ कच्चातिवु पर शुरू किया गया था. उन्होंने कहा, ‘‘चुनाव से ऐन पहले आप इस संवेदनशील मुद्दे को उठा रहे हैं, लेकिन आपकी ही सरकार के अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने 2014 में उच्चतम न्यायालय को बताया था कि कच्चातिवु 1974 में एक समझौते के तहत श्रीलंका गया था… आज इसे वापस कैसे लिया जा सकता है?