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पीएम मोदी मिस्र के सर्वोच्च सम्मान ऑर्डर ऑफ द नाइल से सम्मानित, हेलियोपोलिस कब्रिस्तान में भारतीय सैनिकों को श्रद्धांजलि दी

Cairo : प्रधानमंत्री मोदी को रविवार को यहां मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सीसी ने देश के सर्वोच्च सम्मान ऑर्डर ऑफ द नाइल से सम्मानित किया. वर्ष 1915 में शुरू किया गया यह सम्मान उन राष्ट्राध्यक्षों, राजकुमारों और उपराष्ट्रपतियों को दिया जाता है, जिन्होंने मिस्र या मानवता की अमूल्य सेवा की हो. यह प्रधानमंत्री मोदी को दिया गया 13वां सर्वोच्च राजकीय सम्मान है. ऑर्डर ऑफ द नाइल शुद्ध सोने से बना होता है, जिसमें वर्गाकार सोने की तीन इकाइयां शामिल हैं, जिनमें मिस्र पर शासन करने वाले बादशाह फिरौन के प्रतीक शामिल हैं.       ">https://lagatar.in/category/desh-videsh/">

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नौ वर्षों में प्रधानमंत्री मोदी को 13 सर्वोच्च राजकीय सम्मान मिल  चुके हैं 

पिछले नौ वर्षों में, प्रधानमंत्री मोदी को पापुआ न्यू गिनी के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार कंपेनियन ऑफ द ऑर्डर ऑफ लोगोहू, फिजी के द कम्पेनियन ऑफ द ऑर्डर, पलाऊ गणराज्य के एबाकल पुरस्कार, भूटान के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ऑर्डर ऑफ द ड्रुक ग्याल्प से सम्मानित किया जा चुका है. इसके अलावा मोदी को अमेरिकी सरकार द्वारा लीजन ऑफ मेरिट, बहरीन द्वारा किंग हम्माद ऑर्डर ऑफ द रिनेसांस, मालदीव द्वारा द ऑर्डर ऑफ द डिस्टिंग्यूस्ड रूल ऑफ निशां इज्जुद्दीन, रूस के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ऑर्डर ऑफ सेंट एंड्रयू से सम्मानित किया गया है. प्रधानमंत्री मोदी को संयुक्त अरब अमीरात का सर्वोच्च नागरिक सम्मान ऑर्डर ऑफ जायद अवॉर्ड, फलस्तीन का ‘द ग्रैंड कॉलर ऑफ द स्टेट ऑफ फलस्तीन अवॉर्ड, अफगानिस्तान का सर्वोच्च नागरिक सम्मान द स्टेट ऑर्डर ऑफ गाजी अमीर अमानुल्ला खान और गैर-मुस्लिम गणमान्य व्यक्तियों को दिये जाने वाले सऊदी अरब के सर्वोच्च सम्मान ऑर्डर ऑफ अब्दुल अजीज अल सऊद से भी सम्मानित किया जा चुका है.

लियोपोलिस स्मारक  4,000 भारतीय सैनिकों को समर्पित है

पीएम मोदी ने रविवार को काहिरा के हेलियोपोलिस युद्ध कब्रिस्तान का दौरा किया और प्रथम विश्व युद्ध के दौरान मिस्र और फलस्तीन में बहादुरी से लड़ते हुए अपने प्राणों की आहूति देने वाले भारतीय सैनिकों को श्रद्धांजलि दी. मोदी ने कब्रिस्तान में शहीद भारतीय सैनिकों को पुष्पांजलि अर्पित की और वहां रखी आगंतुक पुस्तिका पर हस्ताक्षर किये. इस कब्रिस्तान में हेलियोपोलिस (पोर्ट तौफीक) स्मारक और हेलियोपोलिस (अदन) स्मारक शामिल हैं. हेलियोपोलिस (पोर्ट तौफीक) स्मारक उन लगभग 4,000 भारतीय सैनिकों को समर्पित है, जिन्होंने प्रथम विश्व युद्ध के दौरान मिस्र और फलस्तीन में लड़ते हुए अपने प्राणों की आहूति दे दी. वहीं, हेलियोपोलिस (अदन) स्मारक राष्ट्रमंडल देशों के उन 600 से अधिक जवानों की याद में बनाया गया है, जो प्रथम विश्व युद्ध के दौरान अदन में लड़ते हुए शहीद हो गये थे. हेलियोपोलिस युद्ध कब्रिस्तान के रखरखाव का जिम्मा कॉमनवेल्थ वॉर ग्रेव्स कमीशन के हाथों में है. कॉमनवेल्थ वॉर ग्रेव्स कमीशन की वेबसाइट के अनुसार, इस कब्रिस्तान में द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान शहीद हुए राष्ट्रमंडल देशों के 1,700 जवानों को भी दफनाया गया है.

कब्रिस्तान में  अन्य देशों के शहीद सैनिकों की कब्रें भी मौजूद हैं

कब्रिस्तान में कई अन्य देशों के शहीद सैनिकों की कब्रें भी मौजूद हैं. स्वेज नहर के दक्षिणी छोर पर स्थित मूल पोर्ट तौफीक स्मारक का उद्घाटन 1926 में किया गया था. कॉमनवेल्थ वॉर ग्रेव्स कमीशन की वेबसाइट के अनुसार, सर जॉन बर्नेट द्वारा डिजाइन किया गया मूल स्मारक 1967-1973 के इजराइल-मिस्र संघर्ष के दौरान क्षतिग्रस्त हो गया था और इसे अंततः ध्वस्त कर दिया गया था. अक्टूबर 1980 में मिस्र में भारत के तत्कालीन राजदूत ने हेलियोपोलिस कॉमनवेल्थ वॉर ग्रेव कब्रिस्तान में शहीद भारतीय सैनिकों के नाम वाले ‘पैनल’ से युक्त एक नये स्मारक का उद्घाटन किया था. पिछले साल अक्टूबर में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने हेलियोपोलिस युद्ध कब्रिस्तान में श्रद्धांजलि अर्पित की थी. प्रधानमंत्री मोदी राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सिसी के निमंत्रण पर मिस्र की दो दिवसीय राजकीय यात्रा पर हैं. यह 26 वर्षों में किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली मिस्र यात्रा है.  प्रधानमंत्री मोदी आज गीजा में पिरामिड देखने भी पहुंचे. [wpse_comments_template]

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