New Delhi : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज शुक्रवार को ज्ञान भारतम मिशन(पोर्टल)का शुभारंभ किया. यह एक समर्पित डिजिटल प्लेटफॉर्म है जिसका उद्देश्य पांडुलिपि डिजिटलीकरण, संरक्षण और सार्वजनिक पहुंच में तेजी लाना है.
#WATCH | Delhi | Prime Minister Narendra Modi says, "I announced Gyan Bharatam mission a few days ago and today we are organizing Gyan Bharatam international conference... This is not a governmental or an academic event, but it is the proclamation of Indian culture, literature… https://t.co/SwotznL8iM pic.twitter.com/3PK5apOVk7
— ANI (@ANI) September 12, 2025
इस अवसर पर पीएम मोदी ने कहा, मैंने कुछ दिन पहले ज्ञान भारतम मिशन की घोषणा की थी और आज हम ज्ञान भारतम अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन कर रहे हैं. यह कोई सरकारी या अकादमिक आयोजन नहीं है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति, साहित्य और चेतना का उद्घोष है. इस क्रम में पीएम ने ज्ञान भारतम मिशन के शुभारंभ के लिए देश के नागरिकों को बधाई दी.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कहा कि ज्ञान भारतम मिशन के तहत भारत का लक्ष्य सदियों पुराने सांस्कृतिक संबंधों वाले देशों को जोड़ते हुए इस विरासत को वैश्विक स्तर पर संरक्षित करना है. हमने थाईलैंड और वियतनाम के विश्वविद्यालयों के साथ मिलकर पाली, लन्ना और चाम भाषाओं में पांडुलिपियों को समझने के लिए विद्वानों को प्रशिक्षण दिया है. भारतम मिशन ऐसे प्रयासों को और आगे बढ़ाएगा.
उन्होंने कहा कि कुछ पारंपरिक ज्ञान की नकल कर विदेशों में पेटेंट कराया गया है. पांडुलिपियों के डिजिटलीकरण से बौद्धिक चोरी पर अंकुश लगेगा और दुनिया को प्रामाणिक स्रोतों तक पहुंच सुनिश्चित होगी. ज्ञान भारतम मिशन नये शोध और नवाचारों को भी उजागर कर रहा है. डिजिटल पांडुलिपियाँ इस क्षेत्र को आगे बढ़ा सकती हैं और युवा शोधकर्ताओं के लिए नए अवसर प्रदान कर सकती हैं.
पीएम ने युवाओं से इस मिशन में शामिल होने का आह्वान किया. कहा कि विश्वविद्यालयों और संस्थानों को भी इस दिशा में पहल करनी चाहिए. पीएम मोदी ने कहा कि प्राचीन काल में लोग खुले मन से पांडुलिपियां दान करते थे, क्योंकि हमारे पूर्वजों का मानना था कि ज्ञान सबसे बड़ा उपहार है.
भारत के पास दुनिया का सबसे बड़ा पांडुलिपि संग्रह है. हमारे पास लगभग 1 करोड़ पांडुलिपियां हैं. इतिहास के क्रूर दौर में लाखों पांडुलिपियां जला दी गयी या खो गयी, लेकिन जो बची हैं, वे इस बात का प्रमाण हैं कि ज्ञान प्राप्त करने के लिए हमारे पूर्वजों का संकल्प कितना गहरा था.
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारतीय ज्ञान परंपरा आज भी समृद्ध है क्योंकि यह चार प्रमुख स्तंभों संरक्षण, नवाचार, परिवर्धन और अनुकूलन पर आधारित है. वेदों को भारतीय संस्कृति का आधार माना जाता है. इन्हें बिना किसी त्रुटि के संरक्षित किया गया.
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