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पीएम मोदी ने कहा, जैन मुनि के विचार जैन दर्शन की मूल भावना से जुड़े हुए है

 New Delhi :   प्रधानमंत्री मोदी ने आज शनिवार को दिल्ली में जैन मुनि आचार्य श्री विद्यानंद जी महाराज  के 100वें जयंती समारोह में शामिल हुए. इस अवसर पर उन्होंने जैन मुनि के सम्मान मे डाक टिकट और सिक्के जारी किये. समारोह मे पीएम मोदी को धर्म चक्रवर्ती की उपाधि प्रदान की गयी.

 

 

 


प्रधानमंत्री मोदी ने आज के दिन को खास बताते हुए कहा कि 28 जून 1987 को आचार्य विद्यानंद मुनिराज को आचार्य' की उपाधि मिली थी. यह सिर्फ सम्मान नहीं था बल्कि जैन संस्कृति को विचारों, संयम और करुणा से जोड़ने वाली पवित्र धारा भी थी. 

 

 

श्री मोदी ने जैन मुनि आचार्य श्री विद्यानंद जी महाराज की सराहना करते हुए कहा कि प्राकृत भारत की सबसे पुरानी भाषाओं में से एक है. प्राकृत भगवान महावीर के उपदेशों की भाषा है. दुख व्यक्त करते हुए कहा कि अपनी संस्कृति की उपेक्षा करने वालों के कारण प्राकृत भाषा सामान्य प्रयोग से बाहर होने लगी थी, लेकिन हमारी सरकार ने प्राकृत भाषा को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिया. 

 

 

पीएम मोदी ने जानकारी दी कि हम भारत की प्राचीन पाण्डुलिपियों को डिजिटाइज करने का अभियान चला रहे हैं. उन्होंने कहा कि आचार्य विद्यानंद महाराज कहते थे कि जीवन तभी धर्ममय हो सकता है, जब जीवन स्वयं ही सेवामय बन जाये. पीएम ने कहा कि जैन मुनि के विचार जैन दर्शन की मूल भावना से जुड़े हुए है.  भारत की चेतना से जुड़ा हुए विचार है. कहा कि भारत सेवा प्रधान देश है, मानवता प्रधान देश है. 

 

 

पीएम ने धर्म चक्रवर्ती की उपाधि दिये जाने के निर्णय को लेकर कहा,  मैं खुद को इसके योग्य नहीं समझता हूं. लेकिन हमारा संस्कार है कि हमें संतों से जो कुछ मिलता है उसे प्रसाद समझकर स्वीकार किया जाता है. इसलिए मैं आपके इस प्रसाद को विनम्रतापूर्वक स्वीकार करता हूं और मां भारती के चरणों में अर्पित करता हूं.


 

 

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