New Delhi : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को कहा कि नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के जरिये देश की हर भाषा को उचित सम्मान और श्रेय दिया जायेगा. जो लोग अपने स्वार्थ के लिए भाषा का राजनीतिकरण करने की कोशिश करेंगे, उन्हें अपनी दुकानें बंद करनी होंगी. प्रधानमंत्री मोदी एनईपी के तीन साल पूरे होने के अवसर पर अखिल भारतीय शिक्षा समागम के उद्घाटन कार्यक्रम में बोल रहे थे. इस अवसर पर कहा कि छात्रों के साथ सबसे बड़ा अन्याय उन्हें उनकी क्षमताओं के बजाय उनकी भाषा के आधार पर आंकना है. मोदी ने कहा, राष्ट्रीय शिक्षा नीति देश की हर भाषा को उचित सम्मान और श्रेय देगी. जो लोग अपने स्वार्थ के लिए भाषा का राजनीतिकरण करने की कोशिश करते हैं, उन्हें अब अपनी दुकानें बंद करनी होंगी. नेशनल खबरों के लिए यहां क्लिक करें
#WATCH | Prime Minister Narendra Modi says, “It is the biggest injustice to the youth to judge them on the basis of their language instead of their talent…There are different languages in the world & all have their own importance….Most of the developed countries have… pic.twitter.com/qtbIi41spt
— ANI (@ANI) July 29, 2023
#WATCH | Prime Minister Narendra Modi along with Union Education Minister Dharmendra Pradhan arrives at Bharat Mandapam, Pragati Maidan to inaugurate the All India Education Convention on the occasion of the completion of three years of National Education Policy-2020. pic.twitter.com/kgdR2v0bNU
— ANI (@ANI) July 29, 2023
विकसित देशों को उनकी स्थानीय भाषाओं के कारण बढ़त मिली है
उन्होंने कहा, मातृभाषा में शिक्षा भारत में छात्रों के लिए न्याय के एक नये रूप की शुरुआत कर रही है. यह सामाजिक न्याय की दिशा में भी एक बहुत महत्वपूर्ण कदम है. दुनिया में भाषाओं की अधिक संख्या और उनके महत्व को ध्यान में रखते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि कई विकसित देशों को उनकी स्थानीय भाषाओं के कारण बढ़त मिली है. उन्होंने यूरोप का उदाहरण देते हुए कहा कि ज्यादातर देश अपनी मूल भाषा का इस्तेमाल करते हैं. मोदी ने इस बात पर अफसोस जताया कि भले ही भारत में कई स्थापित भाषाएं हैं, लेकिन इन्हें पिछड़ेपन की निशानी के तौर पर पेश किया जाता है और जो लोग अंग्रेजी नहीं बोल सकते, उनकी उपेक्षा की जाती है और उनकी प्रतिभा को मान्यता नहीं दी जाती है. उन्होंने कहा, ‘‘इसके परिणामस्वरूप, ग्रामीण क्षेत्रों के बच्चे सबसे अधिक प्रभावित रहते हैं. एनईपी को लाये जाने के साथ देश ने अब इस धारणा को त्यागना शुरू कर दिया है.
संयुक्त राष्ट्र में मैं भारतीय भाषा में बोलता हूं
संयुक्त राष्ट्र में भी, मैं भारतीय भाषा में बोलता हूं. मोदी ने कहा कि सामाजिक विज्ञान से लेकर इंजीनियरिंग तक के विषय अब भारतीय भाषाओं में पढ़ाये जायेंगे. उन्होंने कहा, जब छात्र किसी भाषा में आत्मविश्वास रखते हैं, तो उनका कौशल और प्रतिभा बिना किसी पाबंदी के उभर कर सामने आयेगी. प्रधानमंत्री ने कहा कि दुनिया भारत को नयी संभावनाओं की नर्सरी के तौर पर देख रही है. कई देश अपने यहां भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) के परिसर खोलने के लिए सरकार से संपर्क कर रहे हैं. दो आईआईटी परिसरों-तंजानिया में एक परिसर और अबू धाबी में एक परिसर-का संचालन शुरू होने वाला है. कई वैश्विक विश्वविद्यालय भी हमसे संपर्क कर रहे हैं. वे भारत में अपने परिसर खोलने में रुचि दिखा रहे हैं.
उन्होंने कहा, एनईपी का लक्ष्य भारत को अनुसंधान एवं नवोन्मेष का केंद्र बनाना है. मोदी ने विद्यालयों से छात्रों को आपदा प्रबंधन, जलवायु परिवर्तन और स्वच्छ ऊर्जा जैसे विषयों के बारे में जागरूक बनाने के लिए कहा. इस कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री ने पीएम श्री योजना के तहत निधि की पहली किस्त जारी की. इस योजना के तहत स्कूल छात्रों को इस तरह से पोषित करेंगे कि वे एनईपी द्वारा परिकल्पित न्यायसंगत, समावेशी और बहुलवादी समाज के निर्माण के लिए योगदान देने वाले नागरिक बनें. प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर 12 भारतीय भाषाओं में अनूदित शिक्षा और कौशल पाठ्यक्रम की पुस्तकों का विमोचन भी किया. यह दो दिवसीय समागम यहां प्रगति मैदान के भारत मंडपम में आयोजित किया जा रहा है.