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PM स्वनिधि: चार महीने में 4% भी आगे नहीं बढ़ा झारखंड, अक्टूबर-जनवरी में सिर्फ 3155 लाभुकों को भुगतान

Ranchi: प्रधानमंत्री स्वनिधि योजना में झारखंड पिछड़ रहा है. लाभुकों को ऋण देने में राज्य 4 महीने में 4 फीसदी भी आगे नहीं बढ़ पाया है. 80,000 लाभुकों को ऋण देने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. लेकिन अबतक सिर्फ 27,587 लाभुकों को ही भुगतान हो पाया है. 11 अक्टूबर 2021 तक जहां 24,432 लाभुकों को भुगतान किया गया था. वहीं 21 जनवरी 2022 तक 27,587 लाभुकों को भुगतान किया गया. अक्टूबर में 47,739 लाभुकों को भुगतान करने की प्रक्रिया चल रही थी. वहीं अभी 50,501 आवेदन प्रक्रियाधीन हैं. अबतक 34.5 फीसदी लाभुकों को ऋण देने का लक्ष्य ही पूरा हुआ है. इसे भी पढ़ें - 7th-10th">https://lagatar.in/7th-10th-jpsc-after-continuous-troubles-many-officers-of-the-commission-may-fall/">7th-10th

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छतरपुर, हरिहरगंज में अक्टूबर के बाद एक भी लाभुक को भुगतान नहीं

राज्य के 10 नगर निकाय पीएम स्वनिधि योजना में फिसड्डी साबित हुए हैं. इनमें छतरपुर, हरिहरगंज, धनबाद, रांची, आदित्यपुर, जमशेदपुर, जामताड़ा, साहेबगंज, राजमहल और बडहरवा शामिल हैं. इनमें से दो नगर निकाय में अक्टूबर के बाद से अबतक एक भी लाभुक को भुगतान नहीं हुआ है. अक्टूबर 2021 की रिपोर्ट के मुताबिक, छतरपुर में 400 में से 299 आवेदन प्रक्रियाधीन थे और 77 का भुगतान हुआ था. अक्टूबर से जनवरी तक यहां एक भी लाभुक को भुगतान नहीं हुआ. वहीं हरिहरगंज में भी अक्टूबर तक के 94 लाभुकों के बाद किसी लाभुक का भुगतान नहीं हुआ.

10 नगर निकाय 30% लाभुकों को भी ऋण नहीं दे सके

 
नगर निकाय टारगेट प्रक्रियाधीन भुगतान प्रतिशत  
छतरपुर 400 406 77 17.3
हरिहरगंज 400 201 94 23.5
धनबाद 19940 7644 3934 26.3
रांची 14700 7072 3375 23.0
आदित्यपुर 2400 1257 695 29.0
जमशेदपुर 9280 4227 2570 27.7
जामताड़ा 400 168 116 29.0
साहेबगंज 1200 559 184 15.3
राजमहल 550 519 116 21.2
बड़हरवा 350 152 94 26.9

नगर निकायों के उदासीन रवैये के कारण योजना की रफ्तार सुस्त

कोरोना काल में आर्थिक रूप से कमजोर हो चुके स्ट्रीट वेंडरों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए देशभर में पीएम स्वनिधि योजना चलाई जा रही है. इस योजना के तहत ऐसे स्ट्रीट वेंडर जो फल, सब्जियां बेचते हैं या रेहड़ी पर छोटी-मोटी दुकान लगाते हैं, उन्हें दस हजार रुपये तक का ऋण आसानी से बैंकों के माध्यम से मुहैया कराया जाता है. योजना की खास बात यह है कि जो स्ट्रीट वेंडर एक साल के भीतर ऋण चुका देते हैं, उनके ब्याज का भुगतान सरकार के स्तर से किया जाता है. लेकिन झारखंड में नगर निकायों की उदासीनता और बैंकों के रवैये के कारण इस योजना की रफ्तार बेहद धीमी है. इसे भी पढ़ें - टेरर">https://lagatar.in/terror-funding-part-6-know-which-businessmen-and-extremists-are-still-off-the-radar-of-nia/">टेरर

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